अहमदाबाद. गुजरात में दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 1 दिसंबर को 19 जिलों की 89 सीटों के लिए मतदान हो चुका है. गुजरात में जहां अब से पहले दो पार्टियों के बीच मुकाबला देखने को मिलता था तो वहीं अबकि बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party- AAP) की एंट्री ने गुजरात चुनाव को दिलचस्प बना दिया था.
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए गुजरात में 1 दिसंबर को होने वाला पहले चरण का चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने जितनी सीटें जीती थी, उसमें से आधी से ज्यादा सीटें इसी सौराष्ट्र-कच्छ और दक्षिण गुजरात के हिस्सों से जीती थी.
पहले चरण में ही भरूच जिले की झगड़िया सीट पर भी चुनाव होने जा रहा है, जहां से 1990 से लगातार विधायक बीटीपी (BTP) के नेता छोटूभाई वसावा (Chhotubhai Vasava) चुनाव लड़ रहे हैं. छोटूभाई वसावा को लेकर इस बार के विधानसभा चुनाव में काफी चर्चा हो रही है.
788 उम्मीदवार मैदान में
1 दिसंबर को होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) के पहले चरण के मतदान में 89 विधानसभा सीटों के लिए 788 उम्मीदवार मैदान में हैं. इन 788 उमीदवारों में से भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सभी 89 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी के 88, बसपा के 57, समाजवादी पार्टी के 12, भारतीय ट्राईबल पार्टी (बीटीपी) के 14 और AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) के 6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपने किस्मत आजमा रहे हैं. इस चरण में सौराष्ट-कच्छ और दक्षिण गुजरात की सीटों पर चुनाव होना है.
क्या थे 2017 के समीकरण?
2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने जहां सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके में बढ़त हासिल की थी तो वहीं दक्षिण गुजरात (Gujarat Assembly Election) में भाजपा ने बाजी मारी थी. 89 सीटों को लेकर अगर हम 2017 के चुनावी नतीजों को देखें तो भाजपा 48, कांग्रेस 38, बीटीपी 2 और एनसीपी एक सीट जीतने में कामयाब रही थी. क्षेत्रीय आधार पर देखें तो सौराष्ट्र-कच्छ में 54 सीटें है, जिनमें से कांग्रेस ने 28 सीटें, भाजपा ने 20 और अन्य दलों ने तीन सीटें जीती थीं. दक्षिण गुजरात इलाके में 35 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा 27 और कांग्रेस आठ सीटें ही जीत पाई थी.
दल | सीटें मिली |
भाजपा | 48 |
कांग्रेस | 38 |
BTP | 2 |
NCP | 1 |
कांग्रेस को हुआ था फायदा
2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने कुल 182 सीटों में से 77 सीटें जीती थीं. इनमें से सौराष्ट्र-कच्छ और दक्षिण गुजरात इलाके की 38 सीटें थीं. अगर हम 2012 के चुनावी नतीजों की बात करें तो कांग्रेस को 22 सीटें, भाजपा को 63 और अन्य को 4 सीटें मिली थीं. ऐसे में कांग्रेस को 2012 की तुलना में 2017 में 16 सीटों का फायदा हुआ था और भाजपा को 15 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था.
2022 में हो रहे गुजरात चुनाव में 2017 के मुकाबले इस बार सियासी समीकरण पूरी तरह से बदले नजर आ रहे हैं. अमूमन कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधे मुकाबले वाले गुजरात में इसस बार लड़ाई के त्रिकोणीय होने का आसार हैं. गुजरात में आम आदमी पार्टी भी पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरी है और लगातार उसके स्टार कैंपेनर गुजरात में रैलियां कर रहे हैं.
क्या है जातिगत समीकरण?
कल होने वाले पहले चरण के चुनाव में पाटीदार, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी जातियों की बड़ी भूमिका है. जहां सौराष्ट्र – कच्छ के क्षेत्रों में पाटीदार वोटर निर्णायक स्थिति में हैं तो वहीं प्रदेश के दक्षिण हिस्सों में आदिवासी बड़ी भूमिका निभाते हैं. दक्षिण गुजरात के 5 जिलों- डांग, नवसारी, नर्मदा, तापी और वलसाड जिलों में अनुसूचित जनजाति निर्णायक भूमिका में है.
किसको कितना वोट?
2017 में हुए विधानसभा चुनाव के अगर आंकड़ों को देखे तो पहले चरण की इन 89 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था. कांग्रेस ने 89 में से 38 सीटों पर लगभग 42 फीसदी वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी तो वहीं भाजपा ने 49 फीसदी वोट शेयर के साथ 48 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन अगर हम 2012 के चुनावों की बात करे तो भाजपा और कांग्रेस के बीच का अंतर काफी ज्यादा था. तब भाजपा (48 प्रतिशत) को कांग्रेस से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे.
सबसे अंत में हुए 2019 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से अगर हम इन 89 सीटों को देखें तो भाजपा ने 89 में से 85 सीटों पर करीब 62 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बढ़त बनाई हुई थी.
कांग्रेस के सामने गढ़ बचाने की चुनौती
2022 के चुनाव में कांग्रेस के 2017 में स्टार प्रचारक रहे राहुल गांधी ने जहां एक दिन ही सभाओं को संबोधित किया है तो वहीं कई अन्य स्टार प्रचारकों ने भी इतनी रूचि नहीं दिखाई है. अभी तक होते आए गुजरात चुनाव में कांग्रेस को ज्यादातर सीटें ग्रामीण इलाकों से मिलती रही हैं. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके में कई जिले में भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी.
पहले दौर में 19 जिलों में से भाजपा 7 जिलों में खाता नहीं खोल सकी थी. जिनमें से अमरेली, नर्मदा, डांग्स, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ जिले में 2017 में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. अमरेली में पांच, गिर सोमनाथ में चार, अरावली और मोरबी में तीन-तीन, नर्मदा और तापी में दो-दो और डांग्स में एक सीट है. इन सभी जगह कांग्रेस को जीत मिली थी.
इसके अलावा कांग्रेस ने सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और जामनगर में भाजपा से ज्यादा सीटें जीती थी. 2017 के चुनाव में सुरेंद्रनगर जिले की पांच में से चार, जूनागढ़ जिले की पांच से चार और जामनगर जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस जीती थी. ये सभी आदिवासी बहुल जिले हैं और कांग्रेस को इन इलाकों में भाजपा को मात दी थी.