शिमला. हिमाचल में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अब राजनीतिक समीकरण भी बदलने लगे हैं. देवभूमि की सत्ता हासिल करने के बाद अब कांग्रेस की नजर अपर हिमाचल पर है. इसका संकेत कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल से मिलता है.
6 में से 3 CPS भी शिमला संसदीय सीट से ही बने हैं. अभी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप यहां से सांसद हैं, लेकिन इससे उनकी राह मुश्किल होती दिख रही है.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले गढ़ वापस छीनने की तैयारी
विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में दिख रही है. अपर हिमाचल यानी शिमला संसदीय क्षेत्र में पिछले 3 लोकसभा चुनाव कांग्रेस लगातार हारी है. इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 17 में से 13 सीटों पर कांग्रेस जीतीं. इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने मंत्रियों की फौज यहां से तैयार की है.
शिमला जिले से 3 विधायकों को मंत्री पद 1 को CPS
अकेले शिमला जिला के कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर, कुसुम्पटी के विधायक अनिरूद्ध सिंह और शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में स्थान दिया गया है, जबकि रोहड़ू के विधायक मोहन लाल ब्राक्टा को CPS बनाया गया है.
5 में से 4 सीटें कांग्रेस को देने वाले सोलन जिला से सोलन के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल मंत्री बने हैं तो अर्की के विधायक संजय अवस्थी और दून के विधायक रामकुमार चौधरी को CPS का पद दिया गया है. सिरमौर जिला से शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान मंत्री बने हैं.
अपर हिमाचल कांग्रेस का गढ़ रहा है
अपर हिमाचल यानी शिमला संसदीय क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को भाजपा से हार सामना करना पड़ा है. 2009 और 2014 में सोलन जिला से संबंध रखने वाले वीरेंद्र कश्यप सांसद बने.
कांग्रेस ने निचले और अपर हिमाचल में सत्ता का बैलेंस बनाने की कोशिश की है. सरकार बनने पर CM और डिप्टी CM के पद निचले हिमाचल को मिले तो लगा कि अब अपर हिमाचल उपेक्षित रहेगा. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में इसका बैलेंस देखने को मिला.