नई दिल्ली. सरोगेसी बिल को लेकर बनी संसदीय समिति ने इस बिल में कुछ और प्रावधान जोड़कर इसे और लचीला बनाने की कोशिश की है. इन प्रवधानों के मुताबिक लिव-इन में रहने वाले जोड़ों और विधवाओं को भी सरोगेसी से बच्चा हासिल करने का हक़ मिलना चाहिए.
समिति ने सरकार की ‘परोपकारी कोख’ के कदम की आलोचना करते हुए इस प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से शामिल महिलाओं के शोषण को रेखांकित किया है और उन्हे पर्याप्त तार्किक मुआवजा देने की वकालत की है. मालूम हो कि सरोगेसी नियमन विधेयक 2016 के मुताबिक शादीशुदा दम्पति अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार महिला को किराये की कोख के लिये तैयार कर सकते थे
समिति के अध्यक्ष सपा सांसद रामगोपाल यादव का मानना है किसी महिला के लिये गर्भधारण व प्रसव के दौरान ऑपरेशन वगैरह काफी तकलीफदेह प्रक्रिया है. इसमें महिलाओं का पूरी तरह से शोषण होता है. इसलिये महिलाओं का परोपकारी किराये की कोख के लिये तैयार होना स्वाभाविक नहीं है. रिश्तेदार महिलायें भी किसी परोपकार के चलते नहीं बल्कि बाध्यता एवं जबरदस्ती के चलते सरोगेट मां बनने के लिए तैयार होती हैं.
समिति के अनुसार सरोगेसी बिल के प्रावधानों के तहत विदेशी नागरिकों पर तो रोक लगे, लेकिन एनआरआई(प्रवासी भारतीय) और ओसीआई (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) को सरोगेसी सेवाएं हासिल करने की इजाजत मिले.