नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता से बदला जाएगा, क्योंकि सरकार औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को खत्म करना चाहती है. गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि नए कानूनों में मॉब लिंचिंग और नाबालिगों से रेप जैसे अपराधों के लिए मौत की सजा शामिल होगी.
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इन बिलों को पेश करने का उद्देशय कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना है.
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर प्रावधान
बिल में गैंगरेप के मामलों में अब 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल होगा. इसमें 18 साल से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा इसमें यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही रिकॉर्ड करेगी. पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा. बयान रिकॉर्ड करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं.
आत्महत्या की कोशिश करना अब आपराधिक अपराध नहीं माना जाएगा. ट्रांसजेंडर को ‘लिंग की परिभाषा’ में शामिल किया गया है. नए विधेयक में व्यभिचार और समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
राजद्रोह का कानून खत्म
सरकार ने राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर दिया है. इसके अलावा बिल में मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का प्रावधान किया गया है. साथ ही अब आजीवन कारावास को 7 साल की सजा में बदला जा सकेगा.
आतंकवाद को लेकर प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद की व्याख्या की गई है और उसे दंडनीय अपराध बनाया गया है. इससे कोई भी आतंकवादी कानून की किसी भी कमी का फायदा नहीं उठा सकेगा.
मॉब लिंचिग पर सख्त कानून
बिल में नस्ल, जाति और समुदाय के आधार पर की गई हत्या के लिए नया प्रावधान पेश किया गया है. बिल में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान है.