मंडी. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स को नेरचौक मेडिकल कॉलेज में खोले जाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है. इस बारे में मंडी की संस्था पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन भेज कर, बिलासपुर में बनने वाले एम्स को नेरचौक स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में शिफ्ट करने की मांग की थी. इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय से फाउंडेशन को पत्र जारी करके बताया गया कि एम्स के स्थान का चयन राज्य सरकार के प्रस्ताव पर बिलासपुर में किया गया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय से ज्ञापन का जवाब प्राप्त होने पर फाउंडेशन ने अमर चंद वर्मा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन कर इस विषय में विस्तार से चर्चा की. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस बारे में फिर से विचार करने के लिए कहा जायेगा और ज्ञापन भी सौंपा जायेगा.
लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक को पहले ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज कहा जाता था. जिसे केंद्र की यूपीए सरकार के संस्थान के रूप में करीब 1000 करोड़ रूपये की राशि खर्च करके ईएसआईसी ने बनाया था. लेकिन बाद में ईएसआईसी ने यहां मेडिकल कॉलेज नहीं चलाने का फैसला लिया. इसके बाद से मेडिकल कॉलेज की तैयार संरचना बेकार पड़ी हुई है. मोदी सरकार के दौरान केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में मेडिकल कालेज खोलने का निर्णय लिया है.
केंद्र सरकार ने बिलासपुर में एम्स खोलने का निर्णय क्यों लिया यह समझ से परे है क्योंकि इतनी धन राशि खर्च करने के बाद भी नेरचौक के मेडिकल कालेज की अधोसंरचना खाली पड़ी है.