मंडी. अब खाद विक्रेताओं को बिना जान पहचान के खाद एवं उर्वरक बेचना महंगा पड़ सकता है. डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांजेक्शन योजना के चलते डिपो होल्डर किसान की पहचान किए बिना खाद नहीं बेच पाएंगे. वीरवार को मंडी जिला में उर्वरक में डारेक्ट बैनिफिट ट्रांजेक्शन योजना शुरू हो गई है. अतिरिक्त उपायुक्त राघव शर्मा ने उर्वरक में डारेक्ट बैनिफिट ट्रांजैक्शन योजना का शुभारंभ किया.
पीओएस मशीन से जुड़ेगी किसान की पहचान
इस अवसर पर उन्होंने बताया कि इस योजना के लागू हो जाने से खाद उर्वरक विक्रेता डिपू होल्डर पीओएस मशीन पर क्रेता की पहचान किए बिना खाद नहीं बेच पाएंगे. उन्होंने बताया कि सभी खाद विक्रेता डिपो होल्डरों को प्वांइट ऑफ सेल मशीनें वितरित की जा रही है. इन मशीनों से किसानों के आधार नंबर जोड़े जाएंगे. जब भी कोई किसान खाद की खरीदारी करेगा, तो पीओएस मशीन में आधार कार्ड के लिंक होने से किसान के अंगूठों का मिलान भी लिया जाएगा, जिससे सम्पूर्ण ब्यौरा मशीन में दर्ज रहेगा.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की रहेगी भूमिका
इसके अलावा मृदा स्वास्थ्य कार्ड की भी इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. उन्होंने बताया कि मृदा परीक्षण से पता चल जाएगा कि किस किसान को कितनी तथा किस प्रकार की खाद की जरुरत है. इससे यह भी पता चलेगा कि कहीं किसान क्षमता से अधिक खाद तो नहीं ले रहे हैं. उर्वरक खरीद में आधार नंबर की आवश्यकता बारे लोगों को जगरुक किया जाना जरूरी है.
पीओएस मशीनों के जरिए यह भी पता चल पाएगा कि जिला में कितनी खाद की बिक्री हुई है तथा कितना भंडारण है. पीओएस मशीन खाद का सरकारी दाम भी दर्शा देगी, जिससे किसानों को खाद का सही दाम भी पता चल पाएगा. यही नहीं योजना के माध्यम से खाद की बिक्री संबंधी ऑन लाईन मॉनटरिंग की जाएगी. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को खाद से संबंधित सूचनाएं आसानी से प्राप्त हो सकेगी. इससे कार्य में पारदर्शिता आएगी, जिससे किसानों का व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा.