शिमला. हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम (एचआरटीसी) को 1,350 करोड़ के घाटे के उबारने के लिए घाटे वाले 1,000 रूटों पर बड़ी बसें बंद होंगी. इन रूटों पर छोटे इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे, ताकि निगम का घाटा कम हो और लोगों को यात्रा सुविधा भी मिले. यह बात उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बुधवार को एचआरटीसी मुख्यालय में निगम की कार्यप्रणाली को लेकर अधिकारियों की पहली समीक्षा बैठक में कही.
क्या है योजना?
अग्निहोत्री ने कहा कि पहले चरण में जनजातीय क्षेत्रों के घाटे वाले रूटों में छोटे इलेक्ट्रिक वाहन चलाए जाएंगे. एचआरटीसी के कर्मियों और पेंशनरों को हर माह सात तारीख को भुगतान किया जाएगा. उन्होंने निगम को घाटे से बाहर निकालने के लिए शीघ्र दस सूत्री कार्यक्रम बनाने के निर्देश भी दिए हैं. बैठक में निगम अधिकारियों से कहा गया है कि प्रदेश की शक्तिपीठों और धार्मिक स्थलों के लिए अलग से नई बसें चलाएंगे.
निगम के बेड़े से पुरानी डीजल बसें चरणबद्ध हटाई जाएंगी और इनके बदले नई डीजल और इलेक्ट्रिक बसें लाएंगे. अग्निहोत्री ने एचआरटीसी का अलग पब्लिसिटी विंग बनाने को कहा है, ताकि इसके कारोबार को बढ़ाकर निगम के घाटे को कम किया जा सके. बैठक में अधिकारियों ने निगम में स्टाफ की कमी दूर करने को भी कहा.
अवैध तरीके से आने वाली बसों पर होगी निगरानी
उपमुख्यमंत्री ने प्रदेश में बाहरी राज्यों से अवैध तरीके से प्रदेश में आने वाली निजी बसों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि निगम को आर्थिक नुकसान न हो.
3,700 रूटों पर दौड़ रहीं निगम की 3,500 बसें
निगम के बेड़े में 3,500 बसें हैं और ये करीब 3,700 रूटों पर चल रही हैं.
एचआरटीसी मुख्यालय में बैठक करते उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री अधिकारियों के अनुसार निगम के 95 फीसदी रूट घाटे में चल रहे हैं. इसका प्रमुख कारण यही बताया जा रहा है कि निगम की बसें ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के कच्चे रूटों में चलाई जाती हैं. निगम की बस अगर 40 रुपये प्रति किलोमीटर की कमाई करती है तो उसे फायदे वाला रूट माना जाता है.