शिमला. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधीन स्थापित महिला विकास निदेशालय द्वारा किशोर न्याय अधिनियम (बालकों की देखभाल एवं सुरक्षा) 2015 के अन्तर्गत कुछ विशेष स्थानों पर पालना शिशु केन्द्र खोलने का निर्णय लिया गया है. यह जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां दी.
उन्होंने कहा कि पालना शिशु केन्द्र खोलने का मुख्य उद्देश्य ऐसे शिशुओं की उचित देखभाल व समुचित चिकित्सा सुविधा व सुरक्षा प्रदान करा है, जिन्हें माता-पिता विपरीत परिस्थितियों के कारण असुरक्षित स्थानों पर बेसहारा छोड़ देते हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि विभाग द्वारा कमला नेहरू अस्पताल, दीनदयाल उपाध्याय आंचलिक अस्पताल, जिला अस्पताल रिकांगपिओं जिला किन्नौर तथा जिला अस्पताल सोलन में पालना शिशु केन्द्र खोले गए है. इसके अतिरिक्त मण्डी के जिला अस्पताल में वर्ष 2016 से एक पालना शिशु केन्द्र कार्यरत है.
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के अन्य भागों में भी शिशु पालना केन्द्र खोलने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने ऐसे परिवार व माता-पिता से आग्रह किया है जो शिशु को अपनाना नही चाहते है और अपनी पहचान को सार्वजनिक नहीं करना चाहते है.
वे शिशुओं को असुरक्षित परिस्थितियों में छोड़ने के बजाए उसे उपरोक्त स्थानों पर स्थापित शिशु पालना केन्द्रों में छोड़े ताकि उन्हें सुरक्षा, चिकित्सीय व खाद्य सेवाएं प्रदान कर उनकी समुचित देखभाल की जा सके. उन्होंने कहा कि ऐसे माता-पिताओं की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.