चिंतपूर्णी(ऊना). वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने के बाद बुधवार को पहला बजट पेश किया है. लेकिन लघु उद्योग कारोबारियों को बजट में उम्मीद के अनुरूप कोई बड़ी राहत नहीं मिली है. छोटे और मझोले करोबारी बजट में कोई बड़ी राहत न मिलने से नाखुश दिखे.
लघु उद्योग संघ ब्लॉक अम्ब के सदस्य सतीश शर्मा कहते हैं कि लघु और मझोले उद्योग देश की रीढ़ की हड्डी है. इस क्षेत्र में देश के 60 प्रतिशत लोग काम करते है. सरकार को भी सबसे ज्यादा कर(टैक्स) इसी उद्योग से मिलता है. छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उन्हें बजट में जीएसटीए आयकर और सस्ते ब्याज पर ऋण में राहत मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन बजट में लघु उद्योग को रियासत न देकर लाखों कारोबारियों को निराश किया गया है.
हालांकि वित्त मंत्री ने 50 करोड़ तक का वार्षिक कारोबार करने वाले छोटे उद्योगों का आयकर घटाकर 25 करने का प्रस्ताव भी रखा है. कॉरपोरेट टैक्स में सरकार ने लघु और सीमांत उद्योंगों के लिए टैक्स 30 प्रतिशत से कम कर 25 प्रतिशत किया है. वहीं 250 करोड़ से कम टर्नओवर वाले उद्योगों को अब 25 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स देना होगा, इसके अलावा 250 करोड़ से कम टर्नओवर वाले उद्योगों को 25 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स देना होगा.