नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के 75वें साल में अर्थात वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का आह्वान किया है. उन्होंने बजट 2018-19 में कृषि क्षेत्र के लिए अनेक नई पहलों की घोषणा करते हुए कहा, ‘हम किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं. हम कृषि को एक उद्यम मानते हैं और किसानों की मदद करना चाहते हैं, ताकि वे कम खर्च करके समान भूमि पर कहीं ज्यादा उपज सुनिश्चित कर सकें और उसके साथ ही अपनी उपज की बेहतर कीमतें भी प्राप्त कर सकें’.
अरुण जेटली ने खोला पिटारा, आम बजट 2018-19 से जुड़ी प्रमुख बातें
जेटली ने यह घोषणा करते हुए काफी प्रसन्नता जाहिर की कि सरकार ने अब तक अघोषित सभी खरीफ फसलों के लिए उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करने का निर्णय लिया है. उनहोंने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा और केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा कर नीति आयोग एक अचूक व्यवस्था कायम करेगा, जिससे कि किसानों को उनकी उपज की पर्याप्त कीमत मिल सके.
एक अहम कदम के रूप में सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को वर्ष 2017-18 के 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की. सरकार के विज़न को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री ने बजट 2018-19 में 500 करोड़ रुपये के साथ ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ लांच करने की घोषणा की, ताकि जल्द नष्ट होने वाली जिन्सों जैसे कि आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटा जा सके. ‘ऑपरेशन फ्लड’ की तर्ज पर शुरू किया गया ‘ ऑपरेशन ग्रीन्स’ इस क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधाओं और प्रोफेशनल प्रबंधन को बढ़ावा देगा.
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जेटली ने 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) को होने वाले लाभों के संदर्भ में पांच वर्षों की अवधि तक 100 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की जिसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2018-19 से होगी, इसके पीछे मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में कटाई उपरांत मूल्य संवर्द्धन में प्रोफेशनल नजरिए को बढ़ावा देना है.
सरकार ने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया है. बड़े क्लस्टरों, विशेषकर प्रत्येक 1000 हेक्टेयर में फैले क्लस्टरों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उत्पादक संगठनों (वीपीओ) में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत क्लस्टरों में जैविक खेती करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
अरुण जेटली ने कहा कि अत्यंत विशिष्ट औषध एवं सुगंधित पौधों की संगठित खेती में सहायता करने और इत्र, आवश्यक तेलों तथा अन्य संबंधित उत्पादों का उत्पादन करने वाले छोटे एवं कुटीर उद्योगों की मदद करने के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.
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मौजूदा 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) के रूप में विकसित करने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत से भी अधिक छोटे एवं सीमांत किसान हैं जो सीधे एपीएमसी और अन्य थोक बाजारों में लेन-देन करने की स्थिति में हमेशा नहीं होते हैं. इन ‘ग्रामों’ में मनरेगा तथा अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग करके भौतिक बुनियादी ढांचे को बेहतर किया जाएगा और इन्हें इलेक्ट्रॉनिक ढंग से ई-नाम से जोड़ा जाएगा तथा एपीएमसी के नियमन के दायरे से बाहर रखा जाएगा. इससे किसान सीधे उपभोक्ताओँ और व्यापक खरीदारी करने वालों को अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे.
जेटली ने कहा कि पिछले बजट में सरकार ने ई-नाम को मजबूत करने और 585 एपीएमसी में ई-नाम की कवरेज बढ़ाने की घोषणा की थी. इनमें से 470 एपीएमसी को ई-नाम नेटवर्क से जोड़ दिया गया है और शेष एपीएमसी को मार्च 2018 तक इससे जोड़ दिया जाएगा . इसके अलावा 22,000 ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) और 585 एपीएमसी में कृषि विपणन से संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि वाला कृषि-बाजार ढांचागत कोष बनाया जाएगा.
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खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के 715 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से दोगुना कर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 1400 करोड़ रुपये करने की घोषणा करते हुए जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना खाद्य प्रसंस्करण में निवेश को बढ़ावा देने वाला हमारा प्रमुख कार्यक्रम है और यह क्षेत्र औसतन 8 प्रतिशत सालाना की दर से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाकर सरकार इस क्षेत्र में विशिष्ट कृषि-प्रसंस्करण वित्तीय संस्थानों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी और सभी 42 मेगा फूड पार्कों में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाओं की स्थापना करेगी.
मत्स्य पालन एवं पशुपालन क्षेत्र के छोटे और सीमांत किसानों की कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों की पूर्ति में मदद के लिए एक प्रमुख कदम की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) की सुविधा इस क्षेत्र को भी देने की बात कही. इससे पशु, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी एवं मत्स्य पालन के लिए फसल ऋण और ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलेगा, जो अब तक केसीसी के तहत केवल कृषि क्षेत्र को ही उपलब्ध था. इसके अलावा वित्त मंत्री ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एफएआईडीएफ) और पशुपालन क्षेत्र की ढांचागत जरूरतों के वित्तपोषण के लिए पशुपालन बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एएचआईडीएफ) बनाने की भी घोषणा की.
जेटली ने बांस को ‘हरित सोना’ की संज्ञा देते हुए 1290 करोड़ रुपये के पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन लांच करने की घोषणा की, जो पूर्ण बांस मूल्य श्रृंखला के मार्ग की बाधाएं दूर करने और समग्र रूप से बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर से जुड़ी अवधारणा पर आधारित है. बांस उत्पादकों को उपभोक्ताओँ से जोड़ने, संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए सुविधाओं के सृजन, एमएसएमई, कौशल निर्माण और ब्रांड निर्माण पर फोकस होने की बदौलत यह घोषणा किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुशल एवं अकुशल युवाओँ के लिए रोजगार अवसर सृजित करने में अहम योगदान देगी.
जाने क्या है बजट का पूरा इतिहास
जेटली ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों के प्रयासों में आवश्यक मदद देने और खेत में ही फसल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी पर सब्सिडी देने के लिए एक विशेष योजना क्रियान्वित की जाएगी.