बिलासपुर. हिमाचल प्रदेश में मछली पालन तेजी से लोकप्रिय हुआ है. इसके जरिए हजारों परिवारों को रोजगार मिला है और कई क्षेत्रों में इसके प्रसार की तैयारी है. इस समय 58 मत्स्य सहकारी सभाएं मछली उत्पादन के कार्य में कार्यरत हैं. जिनमें गोबिंदसागर, पौंगडैम, कोलडैम व चमेरा जलाशय में सालाना 1144 टन मछली उत्पादित की जा रही है. इसके अलावा मानव निर्मित जलाशयों में लगभग 5000 मछुआरा परिवार अपना जीवनयापन कर रहे हैं.
वहीं ट्राउट के क्षेत्र में देशभर में हिमाचल के कुल्लू जिला अग्रणी भूमिका निभा रहा है. यहां पतली कूहल में विभागीय ट्राउट फार्म स्थापित है. जहां से ट्राउट उत्पादकों को उन्नत किस्म का मत्स्य बीज, मत्स्य आहार व प्रषिक्षण की व्यवस्था की जाती है. उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र में 543 ट्राउट पालक इस व्यवसाय से जुड़े हैं.
मेला 14 नवम्बर से 27 नवम्बर तक चलेगा
भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग द्वारा बुधवार को विश्व मत्स्य दिवस रूप में मनाया गया. इसका आयोजन संगोष्ठी हॉल, एनएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में किया गया. इसका शुभारम्भ केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा विधिवत रूप से किया गया. कार्यक्रम में देश के मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों को आमंत्रित किया गया था.
हिमाचल प्रदेश मात्स्यिकी विभाग ने भी विभागाध्यक्ष सतपाल मैहता के नेतृत्व में प्रदेश के अग्रणी मत्स्य पालकों का एक दल, ट्राउट क्षेत्र से देवी सिंह मात्स्यिकी से तिलकराज व सहकारी क्षेत्र से सरवण कुमार व वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी डॉ. सोमनाथ ने भी भाग लिया.
निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य ने बताया कि ट्राउट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहली बार मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेश ने 37वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला जो 14 नवम्बर से 27 नवम्बर तक चलेगा. हिमाचल की ट्राउट को बढ़ावा देने के उद्शेय से ट्राउट की बिक्री के लिए प्रगति मैदान में स्टाल लगाकर इसकी बिक्री आरंभ की है.