बिलासपुर. बंदर, सूअर, आवारा व जंगली जानवर बिलासपुर की उपजाऊ भूमि के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं. हालात ये हैं कि जिले की करीब 3900 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन पूरी तरह से बंजर बन गई है.
जिले की 105 ग्राम पंचायतें जंगली जानवरों के आतंक से बुरी तरह से प्रभावित हैं. इन पंचायतों के 1083 राजस्व गांवों में से 450 गांवों के किसानों ने जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक से परेशान होकर अपनी कई हेक्टेयर जमीन में खेती करना छोड़ दिया है.
स्वारघाट और झंडूता में सबसे ज्यादा परेशानी
सबसे ज्यादा आतंक स्वारघाट और झंडूता विकास खंड की पंचायतों में है. यहां की करीब 2000 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन बंजर हो चुकी है. इसके अलावा सदर विकास खंड भी जंगली जानवरों से प्रभावित है. यहां के किसान अब तक 1800 हेक्टेयर भूमि में खेतीबाड़ी करने से तौबा कर चुके हैं.
घुमारवीं में हालांकि जंगली जानवरों का आतंक बहुत कम है, लेकिन फिर भी इस खंड की 100 हेक्टेयर भूमि बंजर हो गई है. लोगों द्वारा खेती से मुंह मोड़ लेना जिले के कृषि विभाग के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है. वहीं आने वाले दिनों में अगर इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया तो समस्या गंभीर भी हो सकती है.
सोलर फेंसिंग की ओर जागरूक हों किसान
बिलासपुर में सोलर फेंसिंग की योजना चलाई जा रही है, जिसमें 80 प्रतिशत सब्सिडी सरकार द्वारा दी जा रही है. इसमें किसान को मात्र 20 प्रतिशत ही लगाना होता है. जिले के स्वारघाट क्षेत्र में यह कामयाब रही है और घुमारवीं में एक, झंडूत्ता में दो तथा सदर में भी दो किसानों ने इसे अपनाया है. इस योजना का नाम मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना है और इसमें दो करोड़ रूपये की सब्सिडी बिलासपुर के लिए स्वीकृत हुई है.
इसके अलावा किसानों को जागरूक कर बंदर प्रभावित क्षेत्रों में हल्दी, जिमीकंद, कचालू, भिंडी, चरी बाजरा, सोयाबीन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित किया जा रहा है.