नई दिल्ली: इसरो ने मिशन गगनयान के पहले चरण की सफल लॉन्चिंग कर इतिहास रच दिया है. गगनयान के क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम का लाइव परीक्षण सफलतापूर्वक हो गया, लेकिन यह इतना आसान नहीं था. इससे पहले इसरो को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था, तब जाकर इसकी सफल लॉन्चिंग हो सकी.
आज सुबह 10 बजे गगनयान मिशन के पहले चरण का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो गया. श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के बाद गगनयान ने बंगाल की खाड़ी में लैंडिंग की.
इसरो को गगनयान मिशन के पहले चरण का लॉन्च 21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से करना था. लेकिन खराब मौसम होने की वजह से इसरो को इसके समय में बदलाव करना पड़ा.
सुबह 9 बजकर 35 मिनट के करीब इसरो की तरफ से ट्वीट कर जानकारी दी गई कि गगनयान के टीवी-डी1 लॉन्च को रोकने की वजह की पहचान कर ली गई है और गड़बड़ी को भी ठीक कर लिया गया है. गगनयान का पहला प्रक्षेपण सुबह 10 बजे किया जाएगा.
गगनयान मिशन का पहला ट्रायल सफल
घड़ी में 10 बजते ही इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान के पहले चरण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया. खास बात यह है कि महज आधे घंटे में ही तकनीकी खराबी को दूर कर मिशन को फिर से लॉन्च कर दिया गया, ये इसको के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के बाद सबसे पहले टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को आसमान में लेकर गया और फिर 594 किमी की रफ्तार के साथ क्रू मॉड्यूम और क्रू एस्केप सिस्टम 17 किमी. की ऊंचाई पर अलग हुआ. इसके बाद पानी से ढाई किमी. की ऊंचाई पर मॉड्यूल के मुख्य पैराशूट खुलने के साथ ही इसकी लैडिंग बंगाल खाड़ी में हो गई. अब यहीं से क्रू मॉड्यूल और एस्केप सिस्टम की रिकवरी होगी. इसरो के इस परीक्षण का मकसद 2025 के लिए गगनयान मिशन को तैयार करना है. वहीं इस मिशन की सफलता के लिए इसरो चीफ ने साथी वैज्ञानिकों को बधाई दी और खुशी भी जाहिर की.