नई दिल्ली. इस समय देश के दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया जारी है. गुजरात की लगभग आधी यानी कुल 182 में से 89 सीटों पर मतदान हो चुका है, वहीं हिमाचल में 12 नवंबर को एक चरण में ही मतदान हो चूका है.
हैरत की बात यह है कि पिछली बार यानी 2017 की बजाय गुजरात चुनाव के पहले फेज में इस बार इन सीटों पर चार प्रतिशत कम वोट पड़े हैं. सीधा सा मतलब है कि लोगों में वोटिंग के प्रति उत्साह नहीं रहा. केवल परंपरागत वोट ही पड़े हैं. चाहे वे भाजपा के पक्ष के हों, कांग्रेस के पक्ष के हों या बचे-खुचे आप के पक्ष के हों!
क्या कम वोटिंग से हार जाती है BJP?
चुनावों में हो रहे कम मतदान को लेकर हर तरफ एक ही चर्चा है कि कम वोटिंग में तो सुना है भाजपा हार जाती है. ऐसे में क्या होगा? पहले चरण के बाद भाजपा ने दूसरे चरण के लिए जबर्दस्त ताकत झोंक दी है. क्या इसका मतलब ये है कि पहले चरण में भाजपा को कोई बड़ा खतरा दिखाई दे रहा है? यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी अपनी चुनावी रैलियों में 151 सीटों का दावा नहीं कर रहे हैं, बल्कि कह रहे हैं कि भाजपा की सरकार फिर बनेगी.
इस बीच राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चूंकि वोटिंग परसेंटेज में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ है इसलिए सत्ता में उलटफेर की भी संभावना कम ही है. ज्यादा वोटिंग होती तो इसे उलटफेर का संकेत माना जा सकता था, क्योंकि वोटिंग परसेंटेज जब बहुत ऊपर जाता है तो माना जाता है कि लोग गुस्से में घर से निकले हैं और उनका उद्देश्य सत्ता बदलना ही रहा होगा. लेकिन इस बार गुजरात में ऐसा कुछ नहीं हुआ है, इसलिए बदलाव की संभावना लगती तो नहीं है. देखना यह है कि 8 दिसंबर को क्या होता है!
चर्चा हिमाचल की
हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव गुजरात के लगभग साथ ही हुए हैं. दोनों राज्यों का चुनाव परिणाम भी एक ही दिन, 8 दिसंबर को आना है, लेकिन कोई भी हिमाचल की चर्चा नहीं करना चाहता.
कुछ जानकारों का कहना है कि इस बार यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा है. वैसे भी भाजपा के खिलाफ यहां एंटी इंकमबेन्सी काम कर ही रही थी. हालांकि, चमत्कार कहीं भी हो सकता है. उधर गुजरात में बची हुई 91 सीटों पर पांच दिसंबर को मतदान होना है.
कांग्रेस के बड़े नेता कुछ हद तक जागे हैं मल्लिकार्जुन खड़गे और अशोक गहलोत ने गुजरात में डेरा डाल रखा है, लेकिन उतनी धूमधाम से नहीं, जैसा भाजपा वाले कर रहे हैं. 3 दिसंबर की शाम इन बची हुई सीटों पर भी चुनावी शोर थम जाएगा. 4 दिसंबर को घर-घर प्रचार के अलावा कोई रैली या सभा नहीं हो पाएगी. सभी को इंतजार है तो अब केवल 8 दिसंबर का.