शिमला. प्रदेश के चार हजार एसएमसी शिक्षक अपने परिवार सहित आगामी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का बहिष्कार कर सकते हैं. मुख्यमंत्री वीरभद्र के ‘डीओ नोट’ के बावजूद अधिकारियों ने एसएमसी शिक्षकों के लिए स्थायी नीति लाने का काम नहीं किया. एसएमसी शिक्षक संघ ने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव, शिक्षा पर मामले की फ़ाइल बंद करवाने का आरोप लगाया है.
संघ के महासचिव मनोज रोंगटा ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि आगामी मंत्रिमंडल की बैठक से पूर्व या 15 सितम्बर तक कोई पॉलिसी नहीं बनाई तो प्रदेश में क्रमिक अनशन, परिवार के साथ धरना-प्रदर्शन के साथ ही आगामी चुनाव में एसएमसी शिक्षक कांग्रेस को वोट नहीं देंगे.
एसएमसी शिक्षक स्थायी नीति की मांग कर रहे हैं. वहीं, वे भेदभाव से भी दुखी हैं. एक तरफ जहां, पीटीए, पैट और पैरा शिक्षकों को सरकार ने हाल ही में वित्तीय व छुट्टियों के लाभ दिए हैं. वहीं, दूसरी तरफ एसएमसी शिक्षकों की अनदेखी हुई है.
रोंगटा ने बताया कि प्रदेश के दुर्गम और जनजातीय इलाकों के लिए 17 जुलाई 2012 में एक पॉलिसी के तहत पीरियड बेस पर 257 एसएमसी अध्यापकों की तैनाती हुई थी. दिसम्बर 2016 तक जिनकी संख्या करीब 4,000 हो गई. वर्तमान में सैंकड़ों स्कूल पूरी तरह एसएमसी शक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. सभी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं. इन शिक्षकों को अवकाश तक का प्रावधान नहीं है, जबकि एसएमसी अध्यापक सभी शैक्षणिक योग्यताओं को पूरा करते हैं.
एसएमसी शिक्षकों का आरोप है कि अपनी मांगों को लेकर जब सचिवालय में अफसर से मिले तो उनसे सही तरह से बात नहीं की गई.