नई दिल्ली. डॉक्टर की कमी से जूझ रहे देश के मेडिकल सेक्टर के लिए एक अच्छी खबर है. भारत सरकार के शिक्षा और स्वास्थय मंत्रालय की मानें तो देश में जल्द ही मेडिकल ग्रेजुएट के बदले स्टूडेंस को मेडिकल डिप्लोमा की डिग्री देकर सरकार अपनी कमी को पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है.
शामिल हुए कई शिक्षा विशेषज्ञ
भारत और रूस की दोस्ती के सत्तर साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित भारत-रुस स्टूडेंट सेमिनार में इस बात की जानकारी दी जा रही थी. विदेश मंत्रालय और रूस एजुकेशन ऑफ कल्चर एंड साईंस के बैनर तले इस आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के शिक्षा सचिव, विदेश सचिव के साथ-साथ रूस के कई शिक्षा विशेषज्ञ भी शामिल हुए.
वीडियो कांफ्रेंसिंग
कांफ्रेस में भारत के दो प्रमुख शहरों दिल्ली और चेन्नई के बच्चों को रूस के प्रमुख शहर कजान, ऑरयोल समेत कई शहरों को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए जोड़ा गया. जहां तकनीकी शिक्षा, खासकर मेडिकल शिक्षा के बारे में जानकारी साझा की गई.
नई नहीं है भारत-रूस की दोस्ती
विदेश मंत्रालय के सचिव श्रीनिवासन ने कहा कि ‘भारत और रूस की दोस्ती कोई नई नहीं है. इस रिश्ते को और मजबूती देने के लिए खुद हमारे प्रधानमंत्री काफी उत्साहित हैं. हम चाहते हैं कि दोनो देशों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में और भी संभावनाओं को तलाशा जाए.’
देश में है डॉक्टरों की कमी
वहीं रूस एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. वासिम ने कहा कि ‘देश में अभी भी तकरीबन पांच से सात लाख डॉक्टरों की कमी है. इसके वावजूद देश में मेडिकल के सीटों की संख्या सीमित है. ऐसे में हमें विदेशों की तरफ रुख करना होगा. जिससे देश में डॉक्टरों की भारी किल्लत को दूर किया जा सके.’