कुल्लू. रोहतांग के पास ब्यास कुंड से निकलने वाली सदानीरा ब्यास नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार और जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है. पिछले करीब 2 दशकों से ब्यास नदी को दूषित करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. ब्यास नदी में कूड़ा कचरा तो कभी सीवरेज की गंदगी फैंकी जा रही है.
बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है
वहीं जब कुल्लू जिला में फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य शरू हुआ है. तब से लेकर ब्यास नदी के किनारे भारी मात्रा में मिट्टी डंप की जा रही है. भुंतर से लेकर मनाली तक एनएचएआई द्वारा फोरलेन सड़क की मिट्टी सीधे ब्यास नदी में फैंकी जा रही है. जिससे जहां भारी बारिश होने से ब्यास नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. वहीं जलीय जीव को नुकसान पहुंच रहा है.
गौर रहे कि ब्यास नदी को दूषित होने से बचाने के कुछ साल पहले हिमालयन पर्यावरण सोसायटी के अध्यक्ष अभिषेक राय ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की थी. जिसके तहत डीसी कुल्लू को ब्यास नदी को दूषित होने से बचाने के ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए थे. लेकिन इसके बावजूद भी ब्यास नदी में धड़ल्ले में कूड़ा कचरा और मिट्टी डंप की जा रही है.
कोर्ट के आदेश पर डीसी की अध्यक्षता में मलबा भंडारण कमेटी बनी है. लेकिन पिछले 2 सालों से कमेटी की कोई बैठक नहीं हुई है. पिछले दिनों पर्यावरण प्रेमियों की टीम ने भुंतर से मनाली तक मौके का दौरा किया. निरिक्षण के दौरान ब्यास नदी के किनारे कई जगहों पर भारी मात्रा में मिट्टी डंप पाई गई.
फोटोग्राफी और विड्योग्राफी भी करवाई
टीम ने निरीक्षण के दौरान ब्यास नदी के किनारे डंप की गई मिट्टी के फोटोग्राफी और विड्योग्राफी भी करवाई है. जिसकी जल्द रिपोर्ट तैयार की जा रही है.