सिरमौर . प्रदेश सरकार भले ही अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करती हो लेकिन जिला सिरमौर में दावों की पोल खुल रही है. शिलाई विधानसभा का इकलौता सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, शिलाई में है जो सालों से खुद ही बीमार पड़ा है. अस्पताल की हालत इतनी खस्ता है कि भवन तो बन गया है लेकिन पिछले चार सालों से स्टाफ नहीं है. लोगों की माने तो जो डॉक्टर यहां तैनात हैं वह खुद ही हमेशा ‘डिप्रेशन’ में नजर आते हैं.
अस्पताल में खाली पद
शिलाई के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत चार प्राइमरी हेल्थ सेंटर व 14 सब हेल्थ सेंटर आते है. इनमें शिलाई अस्पताल में दो मेडिकल ऑफिसर, एक बीएमओ, एक डेंटल, एक सुपरवाइजर, एक सुपरिटेन्डेट, एक एक्सरे टेक्नीशियन और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की सीट खाली है. इसके अलावा प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में सभी फार्मासिस्ट की सीटें खाली पड़ी हुईं हैं. जबकि प्राइमरी हेल्थ टिम्बी में कोई भी कर्मचारी तैनात नहीं हैं. नेनीधर में केवल एक मेडिकल ऑफिसर है. 14 सब हेल्थ सेंटर में से 6 सेंटर में एक भी कर्मचारी तैनात नहीं हैं, जबकि 8 सब हेल्थ सेंटरों में केवल एक-एक हेल्थ वर्कर तैनात हैं. 14 सेंटर में पुरुष और स्त्री हेल्थ वर्करों के कुल 28 पद है. जिसमें से केवल 8 पदों पर तैनाती है. बाकी सब खाली पड़े है यानी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत लोगों के स्वास्थ्य की देखरेख करने वाले कर्मचारियों में विभिन्न पदों मे लगभग 30 पद खाली पड़े है.
क्या कहते है क्षेत्रवासी
स्थानीय लोगों ने बताया कि पूरे क्षेत्र के साथ-साथ जिला शिमला व उत्तराखंड से शिलाई अस्पताल में सैकड़ों मरीज आते हैं. लेकिन अस्पताल की हालत ठीक नहीं है. अस्पताल में पिछले कई सालों से एक या दो ही डाक्टर मिलते हैं. अस्पताल में ओपीडी तो जरुर लगती है, लेकिन यदि इमरजेंसी में कोई मरीज आ जाए तो न डाक्टर मिलता है औ न ही फास्ट ट्रेक सुविधा मिल पाती है. डॉक्टरों से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. यदि गलती से डॉक्टर आ जाए तो पहले इलाज की जगह ताने मारते हैं कि यहाँ के लोगों ने तो परेशान कर दिया है, मुझे तो मेडिकल छुट्टी पर जाना पड़ेगा.
कई बार विभाग के अधिकारियों को लिखित व मौखिक शिकायतें भी की गयी है. इतना ही नहीं रैलियां भी निकाली गई है. लेकिन न अस्पताल की हालत सुधरी न ही शिलाई में तैनात डाक्टरों का रवैया सुधरा है. जिसके कारण क्षेत्रीय लोगों में विभाग व अधिकारियों को लेकर भारी रोष नजर आता है.
अच्छी सुविधाओं का जुमला
प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सत्ता में आने के बाद चार साल में पहली बार शिलाई दौरे पर आए. यहां पर आकर वह अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ पूरा स्टाफ भेजने का वादा कर गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. अब तीन माह बाद आगामी चुनाव आने को है. लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री का वादा अब भी लोगों के लिए किसी सुनहरे जुमले से कम नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय सत्ताधारी नेता भी इस मामले में गंभीर नजर नहीं आते हैं. जिसके कारण समस्या और भी बढ़ती जा रही है.
जिला अधिकारी के बोल
वहीं, इस सम्बंध में नाहन के सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) संजय शर्मा ने बताया कि विभागीय नियम सबके ऊपर लागू होते हैं. यदि कोई स्टाफ का कर्मी मरीज व तीमारदार को सही तरीके से हेंडल नहीं करता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी. शिलाई में तीन डॉक्टर तैनात हैं. जिनमें से एक मेडिकल छुट्टी पर है. खाली पदों को लेकर हर माह सरकार व विभाग को रिपोर्ट भेजी जाती है. फिर भी नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है. इस पर मैं कुछ नहीं बता सकता हूं. खाली पदों पर तैनाती करना मेरे कार्यक्षेत्र से बाहर है.