राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने संसद भवन में आयोजित अपने विदाई समारोह में दिए अपने भाषण में केंद्र सरकार को एक नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अध्यादेश के विकल्प से बचना चाहिए, विपरीत परिस्थितियों में ही अध्यादेश का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं वित्त मामलों में अध्यादेश का प्रावधान नहीं होना चाहिए.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार लैंड बिल से लेकर शत्रु संपत्ति बिल का अध्यादेश कई बार ला चुकी है. जिसका विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया था. इससे पहले रविवार को संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति को देश के सांसदों ने औपचारिक विदाई दी थी. इस समारोह में उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद के दोनों सदनों के सदस्य मौजूद थे.
राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को ख़त्म हो रहा है. उन्होंने अपने भाषण में अध्यादेश लाने पर जोर देते हुए कहा कि अध्यादेश सिर्फ ऐसे मामलों में लाना चाहिए , जब कोई विधेयक संसद में पेश किया जा चुका हो या संसद समिति ने उस पर चर्चा की हो.
आपको बता दें कि अध्यादेश जारी करने के छह महीने तक उसकी वैधता बनी रहती है और उसके बाद यह रद्द हो जाता है. सरकार को अध्यादेश लाने के बाद इसे दोनों सदनों में पारित करवाना होता है और छह महीने के भीतर पारित न करवाने पर इसे फिर से जारी करना पड़ता है.