शिमला ग्रामीण (शिमला). एनजीटी के फैसले के खिलाफ शिमला के भवनमालिक एकजुट हो गए हैं. सोमवार को शिमला के कालीबाड़ी हाॅल में हुई बैठक के दौरान शिमला जनसंघर्ष समिति के सचिव गोबिंद चतरांटा ने कहा कि अब समय आ गया है कि जिला की बजाय प्रदेश भर के भवनमालिक इस मुददे पर एकजुट हो जाएं.
भाजपा ने सरकार बनने से पहले किया था वायदा
उन्होंने कहा कि भाजपा ने सरकार बनने से पहले वायदा किया था कि भवनमालिकों के लिए नीति लाई जाएगी. जिन लोगों के मकान अवैध हैं, उन्हें नियमित किया जाएगा. लेकिन अभी तक सरकार ने कोई पहल नहीं की है. सरकार को मजबूती से भवनमालिकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखना चाहिए. उपनगरीय जनकल्याण समिति के अध्यक्ष चंद्रपाल मेहता ने कहा कि अब 28 जनवरी को प्रदेश स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा जिसमें भवनमालिकों के सुझाव पर आधारित एक ज्ञापन तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा. इस अधिवेशन में सभी दलों के नेता, पार्षद, और पंचायत प्रतिनिधि बुलाए जाएंगे.
एनजीटी ने सुनाया है यह फैसला
एनजीटी ने शिमला के कोर और ग्रीन एरिया में निर्माण पर पूरी तरह रोक लगाई है. वहीं, इस एरिया के बाहर वाले क्षेेत्रों में डेवलपमेंट प्लान के बाद ही नक्शे पास करने के आदेश दिए है. इसके साथ फैसले में कहा गया है कि जो भवन अवैध हैं, उन्हें या तो तोड़ा जाए या फिर उन्हें नियमित करने के लिए 5 हजार प्रति वर्ग फीट के हिसाब से ग्रीन सेस वसूला जाए. शहर में हजारों ऐसे मकान है जो अवैध है. ये पहले पंचायतों के अधीन थे जो नगर निगम में शामिल होने के बाद अब इन नियमों के अधीन आ गए. दशकों पुराने ये मकान लोगों ने बिना नक्शे के बनाए थे जिन्हें अब अवैध कहा जा रहा है.