गांधीनगर(उडन). नयन जी भाई परमार कांग्रेसी हैं. गांव के पांच प्रमुख व्यक्ति में एक हैं. ललित भाई पटेल भाजपा के समर्थक हैं. गांव के पैक्स के मैनेजर हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उनके ‘डिस्ट्रिक्ट बैंक’ के डायरेक्टर भी हैं. दोनों किसान हैं. गांधीनगर के उदन गांव के निवासी हैं. दोनों की समस्या एक जैसी है.
आजादी के बाद से नहीं चली बसें
उदन गांव दहगाम विधानसभा क्षेत्र में आता है. गांधीनगर जिले में पड़ता है. 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस की विधायक कामिनी बेन पटेल चुनी गयी थीं. विधायक का पांच सालों का काम कैसा रहा के जवाब में ललित भाई कहते हैं, “ऐसा करेंगे वैसा करेंगे लेकिन कभी देखने नहीं आये, पूरा कुछ भी नहीं हुआ. रखियाल रोड पर आजादी के बाद से बसें नहीं चली हैं, वहां बस चलाने का वादा था, वह भी पूरा नहीं हुआ है.”
मौला रोग से पैदावार में कमी
गांव की समस्या पूछने पर जवाब “कुछ भी नही है” आता है. यहां समस्या किसानों की है. गांव में ज्यादातर लोग किसान हैं. कपास उपजाते हैं. ललित भाई रावल बताते हैं कि अब बीटी कॉटन में भी रोग लगने लगा है. ‘मौला’ रोग लगने से पैदावार कम हुई है. कहते हैं, “सरकारी बीटी कॉटन का बीज छोड़कर बेहतर मानी जाने वाली प्राइवेट कंपनी का बीज खरीदा था. फिर भी मौला लगने से पूरी फसल पीली पड़ गयी.”
लागत के हिसाब से नहीं मिलता भाव
नयन भाई परमार बताते हैं कि अब खेती में फायदा नहीं रहा है. यही हाल गेहूं और दूसरे फसल का भी है. वे खेती के खर्चे और आमदनी के गणित को समझाने की कोशिश करते हैं. किसानों को लागत के हिसाब से उपज का भाव नहीं मिल पाता है. ललित भाई कहते हैं कि कपास के साढ़े चार सौ ग्राम बीज की कीमत 920 रुपया आता है. वहीं, जब बेचने का वक्त आता है तो 20 किलो के 900 रुपया मिलते हैं.
सिर्फ वादे हुए
नयन जी परमार कहते हैं कि चाहे सरकार कोई भी आये खेडूतो(किसानों) को फायदा होना चाहिये. कहते हैं, “हमें सस्ती बिजली चाहिये, पानी चाहिये, खाद के दाम बढ़ा दिये गये.” पूछते हैं, “नरेन्द्र मोदी ने हमारे लिये क्या किया है, दूसरे राज्यों में कर्जमाफी हुई है, यहां के किसानों को क्या मिला है?” ललित भाई कहते हैं कि “मुख्यमंत्री विजय रुपाणी किसानों के ऋणमाफी की बात की थी लेकिन उसे पूरा नहीं किया है.”
ललित भाई बताते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी से बड़े लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन मध्यम वर्ग के लोग परेशान हुये. इसका प्रभाव विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
गांव में अबतक नर्मदा कैनाल का पानी नहीं पहुंचा है. गांव के तालाब में जलभराव नहीं हो पा रहा है. भूमिगत जल का स्तर घट गया है. गांव की खेती भूमिगत जल पर निर्भर है. गांव के लोग सड़क और बिजली के बाद जीवन स्तर बढाने के लिये रोजगार की बात करते हैं.