भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार शाम गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 की 36 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. पिछली सूची को मिलाकर भाजपा ने अब तक 106 उम्मीदवारों का नाम घोषित कर दिया है. आइये जानते हैं इस सूची में किसकी किस्मत चमकी और किसे पार्टी ने क्यों कर दिया बेटिकट-
11 निर्वतमान विधायकों को नमस्ते
पिछले 22 साल से प्रदेश में राज कर रही भाजपा को इस चुनाव में कांग्रेस से बेहद कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है. एंटी इनकम्बेंसी का दंश झेल रही भाजपा के लिए अपनी अक्षमता या भ्रष्टाचार के चलते जनता के विरोध का सामना कर रहे विधायक सबसे बड़ा संकट बन गए हैं. ऐसे में पार्टी ने गले का पत्थर बन चुके इन नेताओं से पिंड छुड़ाने का मानस बना लिया दीखता है. मौजूदा सूची में 11 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया गया है. कच्छ जिले की गांधीधाम SC सीट से विधायक और अडानी ग्रुप के करीबी माने जाने वाले रमेश महेश्वरी की जगह उनके दूर के रिश्तेदार पर राजनैतिक विरोधी, वरिष्ठ भाजपा नेता रामजी भाई ढेडा की बेटी मालती बेन महेश्वरी को टिकट दिया गया है. कमजोर माने जा रहे मौजूदा विधायकों का टिकट काटने में मंत्रियों को भी नहीं बख्शा गया है. अहमदाबाद की नरोड़ा सीट से विधायक और महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मलाबेन वाधवाजी को भी पार्टी ने दोबारा मौका नहीं दिया और उनकी जगह बलराम थावानी को टिकट थमा दिया. वहीं सुरेंद्रनगर जिले की चोटिला सीट से विधायक और संसदीय सचिव सामजी भाई चौहान का भी यही हश्र हुआ, जबकि मोरबी जिले की टंकारा सीट से विधायक बावन जी भाई मेतलिया की जगह भाजपा के जिला अध्यक्ष राघवजी गडारा को उतारा गया है. राजकोट की धोराजी सीट से चार बार के विधायक प्रवीण भाई माकड़िया भी इस बार टिकट पाने में असफल रहे, जबकि जामनगर जिले की कालावाड़ SC के विधायक मेघजी चावड़ा को भी पार्टी ने बेटिकट कर दिया. आनंद जिले की खम्भात सीट से विधायक और पाटीदार नेता संजय पटेल की जगह इस बार मयुरभाई रावल को उतारा गया है.
बरोड़ा जिले में पूर्व CM चिमनभाई पटेल के बेटे सिद्धार्थ पटेल को हराने वाले डाभोई विधायक बालकृष्ण पटेल भी फिर से टिकट पाने में असफल रहे. क्षेत्र की जनता में फैली गलत छवि को भी टिकट काटने का एक कारण माना जा रहा है. सूत्रों की मानें तो सूरत पूर्व के विधायक रंजीत गिलिटवाला को उनकी नशेबाजी की लत के चलते टिकट गंवाना पड़ा है. नवसारी जिले की गणदेवी ST सीट पर बड़ा उलटफेर करते हुए पूर्व मंत्री और 5 बार के विधायक मंगूभाई पटेल की जगह जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश पटेल को टिकट दिया गया है.
मात्र छह विधायकों को मिला दोबारा मौका:
निर्ममता के काटे जा रहे टिकटों के बीच छह सिटिंग विधायक अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे हैं. कच्छ जिले की भुज सीट से विधायक और आर्थिक रूप से ख़ासी मंजबूत मानी जाने वाली नीमाबेन आचार्य उनमें से एक हैं. अहमदाबाद जिले में तीन मौजूदा विधायकों को फिर से मौका दिया गया है जिसमें जिले की वटवा सीट से विधायक और गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा प्रमुख हैं. अहमदाबाद की ही निकोल बैठक (गुजराती में विधानसभा सीट को बैठक कहा जाता है) से विधायक और पार्टी के अहमदाबाद शहर प्रमुख जगदीश पांचाल को भी फिर से मौका दिया गया है. जानकारों की मानें तो उत्तर और मध्य गुजरात में अल्पेश ठाकोर के हमलों का सामना कर रही भाजपा का ओबीसी चेहरा होने का लाभ पांचाल को मिला है. अहमदाबाद की ही जमालपुर खाड़िया सीट के विधायक भूषण भट्ट का टिकट उनके ख़राब कार्यकाल के चलते खतरे में था, पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक भट्ट का बेटा होने के चलते उन्हें एक और मौका दिया गया है. पोरबंदर विधायक और मंत्री बाबुभाई बोखिरिया जिले की राजनीती पर दबदबा रखने वाले मेर समुदाय का नेता होने के चलते फिर से टिकट पाने में सफल रहे. वहीं दाहोद जिले की फतेपुरा ST के विधायक रमेश कटारा को अपने बेहतर कार्यकाल का लाभ मिला दीखता है.
तीन हारे हुए उम्मीदवारों पर फिर जताया भरोसा
जहां जीते हुए उम्मीदवारों में से एक बड़े हिस्से की छंटनी कर दी गयी है वहीं तीन ऐसे हारे हुए प्रत्याशी भी हैं जिनपर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है. बनासकांठा जिले की कांकरेज सीट से मात्र 600 वोट से चुनाव हारने वाले कीर्ति सिंह वाघेला, और छोटा उदेपुर जिले की संखेडा सीट से तडवी आदिवासियों के नेता और लगभग 1400 वोट से चुनाव हारने वाले अभयसिंह मोतीसिंह तडवी उसमें शामिल हैं. मोरबी जिले की वांकानेर से पाटीदार बिरादरी के जीतू भाई सोमानी पर भी दोबारा भरोसा जताया गया है जिनके परिवार का कब्ज़ा यहां की नगरपालिका पर पिछले तीन दशक से भी ज्यादा से कायम है.
27 नए प्रत्याशी, एक दागी विधायक की पत्नी को टिकट:
36 प्रत्याशियों की मौजूदा लिस्ट में भाजपा ने २७ नए चेहरों को उतारा है. राजकोट जिले की गोंडल सीट से भाजपा विधायक जयराजसिंह जडेजा का टिकट हत्या के मुक़दमे में उम्र कैद की सजा पाने के चलते काट दिया गया है पर ये कवायद दिखावे भर की ही है क्यूंकि उनकी जगह उनकी पत्नी गीताबा जडेजा को टिकट दिया गया है. फिर भी, २७ नए चेहरों में उनकी पत्नी भी शामिल हैं.
प्रत्याशी बदलने से जहां एंटी-इनकम्बेंसी के छुटकारा पाने में सहायता मिलने की उम्मीद है वहीं पुराने प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के भितरघात या खुले विरोध का खतरा भी है. टिकट घोषणा के बाद कई जगह यह विरोध खुल कर सामने आ गया. देखना ये है कि भाजपा की सांगठनिक मशीनरी चुनाव तक इस विरोध पर काबू पाने में सफल रहती है या नहीं, अन्यथा इसका सीधा फायदा कांग्रेस के खाते में जायेगा.