गुजरात(अहमदाबाद). साबरमती रिवर फ्रंट को नर्मदा से जीवनदान मिलने के साथ ही यह गुजरात गौरव का एक और प्रतीक बन गया है. वहीं, यह जगह पर्यटकों के लिये खास आकर्षण का केन्द्र है. रिवर फ्रंट के विकसित होने के साथ ही इसपर बने पुल से कूदकर आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती गई है. इससे निपटने के लिये 2014 में रिवर रेस्क्यू टीम को 24 घंटे के लिये मुस्तैद किया गया है. इस टीम में चार तैराक हैं जिसे भरत मंगेला लीड करते हैं. टीम ने 2014 से अबतक 250 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. गौर करने वाली यह बात है कि पुल से कूदकर जान गंवाने वाले की संख्या 1000 को पार कर गई है.
डूबते लोगों को बचाते भरत
भरत मंगेला ने 2001 में अपने पिता की जगह पर फायर फाइटर की नौकरी ज्वाइन की थी. तब वे 22 साल के थे. वे बताते हैं कि पहले भी उन्हें कभी-कभार रेस्क्यू के लिये बुलाया जाता था. तब इतने केसेस नहीं होते थे. लेकिन रिवर फ्रंट के पूरा विकसित हो जाने के बाद यहां दूर-दूर से आत्महत्या करने के लिये लोग आने लगे हैं. डूबते लोगो को तुरंत पानी से निकालना होता है जिसके लिये 24 घंटे मुस्तैद रहना होता है.
35 साल से कम उम्र के लोग ज्यादा कूदते हैं
भरत 2014 के बाद से मरने वालों का रिकार्ड रखते हैं. वे बताते हैं कि 35 से कम उम्र के लोगों में ज्यादातर प्यार में असफल होने और बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या करते हैं. वहीं, उम्रदराज लोगों में सबसे ज्यादा कैंसर और डायबिटिज से परेशान होकर यहां मरने के लिये पहुंच जाते हैं.
बचाने के लिए मिलते हैं मात्र 2-3 मिनट
वह बताते हैं, कि “पानी में कूदने के बाद जिन्दगी और मौत के बीच सिर्फ 2-3 मिनट का फासला होता है. इस बीच कोई अगर सहारा पा जाता है तो बचने की उम्मीद बढ़ जाती है, वरना किसी को पता नहीं चल पाता कि मरने की वजह क्या थी.”
2014 में रिवर रेस्क्यू टीम बनने के बाद से ही भरत भाई ने व्हाट्स एप्प पर ग्रुप बनाकर मरने वाले लोगों की फोटो व अन्य जानकारी पोस्ट करना शुरु कर दिया था. वह बताते हैं कि शुरूआत में सिर्फ तीन लोग इस ग्रुप में शामिल थे. लेकिन आज इसमें 70 से अधिक लोग हैं. जिनमें उनकी टीम के साथ-साथ पुलिस, एम्बुलेंस टीम, डॉक्टर, पत्रकार और फायर एंड इमरजेंसी के कुछ अधिकारी शामिल हैं.
कब बंद होगा मरने का सिलसिला
गुमशुदा लोगों की पहचान के लिये उन्होंने डेढ़ साल पहले साबरमती रिवर रेस्क्यू के नाम से फेसबुक पेज भी बनाया है. कहते हैं कि सोशल मीडिया पर लोगों की पहुंच बढ़ रही है तो क्यों न इसका इस्तेमाल बिछड़े हुये लोगों को मिलाने में किया जाये. भरत चाहते हैं कि लोगों का यहां आकर मरने का सिलसिला हमेशा के लिए बंद हो जाए.