भोरंज(हमीरपुर). उपमंडल भोरंज में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा 2017 में लगभग एक दर्जन के करीब पहुंच गया है. वहीं, 2016 में यह आंकड़ा आठ था. हालांकि विभिन्न प्रकार की समाजसेवी संस्थाएं समाज में लोगों को जागरूक कर रही हैं. फिर भी आत्महत्या का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है, जो एक चिंता का विषय है. इस तरफ समाज और प्रशासन को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
आत्महत्या की रोकथाम के लिए कानून की अपेक्षा सामाजिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता है. गौरतलब है कि कई लोग आज भी आत्महत्या को मानसिक दुर्बलता का परिणाम मानते हैं, परंतु आत्महत्या का एक प्रमुख कारण तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण भी है. गांवों से शहरों की ओर पलायन करने वाले लोगों की उनकी आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने के अलावा शहरों का कष्टपूर्ण जीवन आत्महत्या करने को उकसाता है. भौतिकता की ओर अंधाधुंध तरीके से भागना भी आत्महत्या का प्रमुख कारण है.
शोचनीय व चिंतनीय विषय
भौतिक संतुष्टि के आभाव में किशोरावस्था में आत्महत्या करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति न हो पाने की दशा में आत्महत्या जैसे गंभीर कृत्य कर बैठने वाले युवाओं की तादाद बढ़ती जा रही है, जो समाज के लिए शोचनीय व चिंतनीय विषय बनता जा रहा है.