हमीरपुर. द्वापर युग की कथा है. कंस के चंगुल से बचाने के लिए वासुदेव और देवकी ने अपने कान्हा को यशोदा के पास पहुंचा दिया. यशोदा ने न सिर्फ कान्हा का पालन-पोषण किया बल्कि उन्हें मां का प्यार भी दिया. हमीरपुर के क्षेत्रीय अस्पताल ने भी एक ऐसी ही पहल की है.
अस्पताल परिसर में ही शिशु पालना केंद्र स्थापित किया है. जिसके बाद कोई भी मां-बाप अपने बच्चे को अगर पाल नहीं सकता तो उसे इस शिशु पालना केंद्र में लाकर छोड़ सकता है. बस करना इतना है कि बच्चे को केंद्र के बाहर रखे पालना में रखकर साथ लगे घंटी को बजाना है, जिससे नर्स को पता चल जाएगा कि कोई बच्चा रखा गया है.
बच्चा रख कर घंटी जरूर दबाएं
हमीरपुर क्षेत्रीय अस्पताल की एमएस डॉ. अर्चना सोनी ने बताया कि अस्पताल में खोले गए इस केंद्र में एक पालना रखा हुआ है. उन्होंने कहा कि पालने में बच्चे को डालना होगा और साथ लगते घंटी के बटन को दबाना होगा, जो कमरा नंबर 302 में बजेगी. इसके बाद उस कमरे में बैठी नर्स को सूचना मिल जाएगी कि कोई त्यागा हुआ बच्चा पालने में पहुंच चुका है.
ताकि नवजात भी देख सके दुनिया
नर्स बच्चे को अपनी सुपुर्दगी में लेगी तथा उसे शिशु वार्ड में भर्ती करवा देगी. उसके बाद बच्चे को राज्य दत्तक ग्रहण एजेंसी के पास भेज दिया जाएगा. बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया नियमानुसार अपनाई जाएगी. यह पालना केंद्र कमरा नंबर 306 में स्थापित किया गया है. इस कदम से नवजात बच्चों की जान बचाने में सफलता मिलेगी. अस्पताल यह अपील कर रहा है कि नाजायज या किसी भी कारण से छोड़े हुए बच्चे को इधर-उधर फेंकने के बजाय अस्पताल के पालना केंद्र में डालें और बच्चों को मरने से बचाएं. ताकि ये नवजात भी दुनिया देख सकें.