हमीरपुर. ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी में शनिवार को वैचारिक पक्ष वार्षिक योजना बैठक का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के अध्यक्ष डॉ. सूरत ठाकुर ने की.
इतिहास शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने कहा कि संस्थान ने प्रदेश को पांच इकाईयों में बांटा है. यह इकाइयां आगामी वर्ष भर 30 से अधिक रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों में संस्थान की इकाइयां क्रांतिकारियों के जन्म जयंतियों को इतिहास दिवस के रूप में मनाएंगी.
गांवों के समग्र इतिहास को संकलित करके प्रकाशित किया जाएगा
गांव के इतिहास लेखन को समर्पित सत्र में हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों के एक-एक गांव के इतिहास लेखन कार्य की प्रगति की समीक्षा की गई. इसमें चिन्हित 12 गांवों पर चर्चा हुई. शीघ्र ही इन गांवों के समग्र इतिहास को संकलित करके प्रकाशित किया जाएगा.
अगले वर्ष भारतबोध विषय पर 60 से अधिक विद्यार्थी करेंगे शोध : गर्ग
कार्यशाला में संस्थान के महासचिव भूमिदत्त शर्मा भी उपस्थित रहे. संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने वर्ष भर चलने वाली संस्थान की गतिविधियां बताई. साथ ही हिमाचल प्रदेश की विभिन्न यूनिवर्सिटी, कॉलेज एवं शिक्षण संस्थानों, जहां पर भारतीय संस्कृति के संरक्षक, भारतीय इतिहास बोध रखने वाले लोगों के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार की जयन्तियों पर गोष्ठी आयोजित करने का कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया.
उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष भारतबोध विषय पर 60 से अधिक विद्यार्थी शोध संस्थान नेरी में अध्ययन करने आएंगे. इस अवसर पर अध्यक्षीय संदेश में डॉ. सूरत ठाकुर ने कहा कि सभी कार्यकर्ता सकारात्मक सोच से आगे बढ़ें व निस्वार्थ भाव से कार्य करें. उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए कार्यकर्ताओं की कर्मठता, कार्य योजना, निश्चित कोष व निश्चित स्थान विशेष महत्व रखता है.
दो दिन चली शोध का रविवार को समापन
हमीरपुर जिले के ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी में आयोजित 2 दिवसीय गांव का इतिहास लेखन कार्यशाला का रविवार देर शाम समापन हुआ. समापन सत्र का संचालन डॉ. बीआर ठाकुर तथा प्रो. कौशल कुमार शर्मा की अध्यक्षता में किया गया.
इस सत्र में गांव के इतिहास लेखन के संदर्भ में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा गया कि गांव की संस्कृति, वहां की सभ्यता, वहां की परम्परा और क्षेत्रीय परिवेश, वेश-भूषा, जीवनचर्या, संस्कृतियों का आदान-प्रदान, मेले, उत्सव, त्योहार, बर्तन, मन्दिर आदि लोक व्यवहार के जो भी अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय हैं, उनका लेखन में समावेश होना चाहिए.