मुख्य बस स्टैंड के साथ-साथ शहर के अन्य किनारों में भी मीट विक्रेताओं की दुकानें धड़ाधड़ चल रही है. नगर परिषद सुजानपुर की मानें तो साफ-सफाई को लेकर वह अक्सर पूरे शहर का निरीक्षण करते रहते हैं. मीट विक्रेताओं की दुकानों की जांच समय-समय पर पशुपालन विभाग आकर करता है, कई बार गुणवत्ता सही न पाए जाने पर कुछ दुकानदारों का माल तक फिंकवाया जाता रहा है.
हैरानी की बात यह है कि करीब 15 हजार की आबादी वाला सुजानपुर शहर आज तक स्लाटर हाउस के लिए तरस रहा है. मजबूरन मीट विक्रेताओं को अपने ही दुकानों प्रतिष्ठानों में माल कटाई कर विभाग के पास पहुंचाना पड़ता है. वहां पर निरीक्षण कार्य पूरा करके फिर इसे स्थानीय जनता के लिए बेचने के लिए रखा जाता है.
सरकार के प्रयास से शहर में स्लाटर हाउस की सुविधा प्राप्त हो सकती है. इसके लिए पूर्व में स्थान तक चयनित किया गया है, लेकिन स्लाटर हाउस क्यों नहीं बना आज तक सवालिया निशान बना हुआ है.