हमीरपुर. हिमाचल प्रदेश की राजनीति में शुरू से सक्रिय रहे हमीरपुर को 13वीं कैबिनेट में स्थान नहीं मिला है. इस अनदेखी से हमीरपुर के लोगों में काफी मायूसी है. उन्हें लगता है कि क्षेत्र से मंत्री नहीं होने पर इलाके के विकास में कसर रह जाएगी. हमीरपुर के लोगों की मांग है कि कैबिनेट मंत्री नहीं तो यहां से सीपीएस जरूर चुने जाने चाहिए.
वीरभूमि के नाम से पहचान, हर सरकार में दिए हैं मंत्री
वीरभूमि के नाम से पहचाने जाने वाले हमीरपुर जिला ने मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों सरकारों में कैबिनेट मंत्री दिए हैं. वहीं भाजपा सरकार में दूसरे मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हमीरपुर जिला को प्राप्त है. लेकिन मंत्रिमंडल में हमीरपुर से कोई भी मंत्री न बनाए जाने पर लोगों में मलाल दिख रहा है. हमीरपुर के लोगों ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों में जिला से कोई न कोई मंत्री रहा है.
गौरतलब है कि प्रो. प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर जिला की बमसन सीट से तीन बार और चौथी बार हमीरपुर से चुनाव जीते हैं. धूमल 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. धूमल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में जिले से दो मर्तबा मंत्री और एक बार मुख्य संसदीय सचिव भी रहे. इस बार भोरंज से कमलेश कुमारी और हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर के भारी मतों के अंतर से चुनाव जीतने के बावजूद मंत्रीमंडल में तरजीह नहीं दी गई.
ठाकुर जगदेव चंद और ईश्वर दास धीमान रहे हैं बड़े नाम
ठाकुर जगदेव चंद को बीजेपी का संस्थापक माना जाता रहा है. वह बीजेपी सरकार में हमीरपुर से पहले परिवहन मंत्री रहे हैं. इसके साथ ही ईश्वर दास धीमान भोरंज विधानसभा क्षेत्र से दो बार शिक्षा मंत्री रहे हैं. धीमान ने उस मिथक को भी तोड़ा जिसमें कहा जाता रहा है कि जो एक बार शिक्षा मंत्री बना वह दूसरी बार चुनाव नहीं जीता. धीमान पूर्व में विस क्षेत्र मेवा से लगातार छह बार चुनाव जीते हैं. दिसंबर 2016 में बीमारी के कारण उनका निधन हुआ था.
वहीं कांग्रेस में मेवा से धर्म सिंह चौधरी और नादौन विधानसभा क्षेत्र से नारायण चंद पराशर मंत्री रहे हैं. धर्म सिंह चौधरी राजस्व मंत्री, तो नारायण चंद पराशर वीरभद्र सरकार में शिक्षा मंत्री रहे हैं. इसके अलावा पराशर लोकसभा के सदस्य भी रहे. कांग्रेस सरकार में हमीरपुर जिला से तीसरे मंत्री रणजीत सिंह वर्मा रहे हैं. वर्मा के पास उद्योग विभाग रहा है.