नई दिल्ली. कड़ाके की ठंड और बर्फ़बारी जैसी विपरीत परिस्थियों में भी किन्नौर के किसान मशरूम को आय का ज़रिया बना रहे हैं. किन्नौर जैसे ठंडे इलाक़े में 6 महीने बर्फ़ रहती है. ऐसे में नमी कम होने के कारण मशरूम की खेती करना काफ़ी चुनौती भरा है. लेकिन इस बर्फ़बारी के मौसम में भी यहां के किसान खुम्ब की खेती कर रहे हैं.
नमी साधने में सफ़लता
खुम्ब की खेती करने के लिए काफ़ी नमी की ज़रुरत होती है. लेकिन ठंड भरे मौसम में नमी को साध पाना मुश्किल काम होता है. लेकिन किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने नमी को बांधने का हुनर सिखाया.
विज्ञानियों के पास किन्नौर के गांवों में बने कंकरीट के घरों में नमी रोकने की बड़ी चुनौती थी. इस चुनौती से निपटने के लिए विज्ञानियों ने एक तरकीब निकाली. नमी रोकने के लिए दीवारों पर टाट की परत चढ़ा दी गई और इस पर पानी का छिड़काव किया गया. यह विधि कारगर साबित हुई और इस मौसम में भी किसानों को मशरूम की खेती करने का एक नया तरीका मील गया.
पॉली हाउस फ़ार्मिंग
पॉली हाउस फ़ार्मिंग भी मशरूम की खेती के लिए वरदान साबित हो रही है. पॉली हाउस फ़ार्मिंग में मशरूम की खेती करने वाले किसान मोटा तिरपाल लगाकर मशरूम की खेती कर रहे हैं.
दिया जा रहा प्रशिक्षण
किसान मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण भी ले रहे हैं. प्रशिक्षण मिलने से किसान अब ख़ुद ही नमी साधने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं. सरकार 7 से 10 दिनों के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर रही है, जिसमे तकनीकी जानकारी दी जाती है कि कैसे खुम्ब की खेती की जाए. वहीं हिमाचल प्रदेश के कृषको को प्रशिक्षण भत्ते का भी प्रावधान है.
खाद की आपूर्ति
पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों को मौजूदा सब्सिडी दरो पर खाद (पाश्चीराईज्ड) की गुणवंता के साथ साथ पाश्चीराईज्ड आवरण वाली मिट्टी भी उपलब्ध कराई जा रही है. वहीं बागवानी विभाग के पंजीकृत प्रशिक्षित खुम्ब उत्पादकों की सहायता के लिए परियोजना की रिपोर्ट बना कर नाबार्ड/एनएचबी और राष्ट्रीयकृत बैंकों के ओर से चल रही योजनाओं के अधीन इन मामलो को मंजूरी देनी की सिफारिश भी करता है.
दी जाती है सहायता
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों को 20x12x10 फुट के खुम्ब भवन निर्माण और भवन में रैक बनाना, खुम्ब किट, उपकरण, पाश्चीराईज्ड खाद आदि की खरीद के लिए 80,000 रुपये की सहायता दी जाती है.