शिमला. हिमाचल प्रदेश की सरकार में अब तक सात विधायक मंत्री बनाए गए हैं. रविवार को राजभवन शिमला में शपथ ग्रहण के बाद सभी मंत्रियों ने कार्यभार संभाल लिया है. शपथ ग्रहण समारोह के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनके कई नए मंत्री दिल्ली पहुंच गए हैं. हर्षवर्धन सिंह चौहान, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह और जगत सिंह नेगी इत्यादि मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली में हैं.
नए मंत्रियों के पोर्टफोलियो तय
हाईकमान से चर्चा के बाद नए मंत्रियों के पोर्टफोलियो तय हो गए हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार ने पहली कैबिनेट की तैयारी शुरू कर दी है. मुख्य सचिव इन दिनों पहली कैबिनेट के एजेंडे पर ही काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री मंगलवार को नई दिल्ली से शिमला लौट आएंगे. वह नए मुख्य संसदीय सचिवों के लिए सरकार के दायरे में बड़ा बदलाव करना चाहते हैं.
राज्य सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस में भी बदलाव किया जा सकता है
इसके लिए राज्य सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस में भी बदलाव किया जा सकता है. हालांकि इसे पहले लीगल स्क्रूटनी से गुजरना होगा. अन्य राज्यों में बहुत सारे न्यायालय मुख्य संसदीय सचिवों को लेकर अलग-अलग आदेश दे चुके हैं और हिमाचल में भी एक बार मुख्य संसदीय सचिवों को हाई कोर्ट ने हटा दिया था. दूसरी तरफ भाजपा ने अब साफ कर दिया है कि सीपीएस की नियुक्ति को वह कोर्ट में चुनौती देगी.
ऐसे में रूल्स ऑफ बिजनेस में बदलाव करना भी एक चुनौती है और इसे कोर्ट में डिफेंड करना दूसरी. कैबिनेट मंत्रियों की शपथ के दिन मुख्यमंत्री ने कहा था कि सारा काम मंत्री या मुख्यमंत्री ही नहीं देख सकता, इसलिए मुख्य संसदीय सचिवों को भी काम देंगे. वह अपने कार्यालय में भी एक या दो मुख्य संसदीय सचिव अटैच कर सकते हैं.
सिर्फ अपनों को एडजस्ट करने को बनाए सीपीएस
हिमाचल में कांग्रेस सरकार का एक महीने का कार्यकाल लगभग पूरा हो गया है. एक महीने के कार्यकाल पर भाजपा ने कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया है. भाजपा पूर्व मंत्री ने सवाल उठाया कि सीपीएस के पास जब कोई शक्तियां ही नहीं हैं, वे किसी तरह का निर्णय ही नहीं ले सकते, तो 6-6 सीपीएस बनाकर सरकारी खजाने पर क्यों बोझ डाल रहे हैं?
CPS के पद को भविष्य के मंत्री की ट्रेनिंग के तौर पर देख रही है सुक्खू सरकार
सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार मुख्य संसदीय सचिव के पद को भविष्य के मंत्री की ट्रेनिंग के तौर पर देख रही है राज्य सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस में भी बदलाव किया जा सकता. हालांकि कांग्रेस को लग रहा था कि विधायक के इंस्टिट्यूशन के तौर पर भाजपा इन नियुक्तियों से कोर्ट तक नहीं ले जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोर्ट ने अलग-अलग आदेशों में मुख्य संसदीय सचिवों की फाइल तक डील करने पर रोक लगा रखी है. ऐसे में रूल्स ऑफ बिजनेस में बदलाव के बाद ही कोई रास्ता निकलेगा.
कांगड़ा की नाराजगी जल्द दूर करेंगे मुख्यमंत्री
दिल्ली में हाईकमान के साथ चल रही चर्चा में मंत्रिमंडल में खाली रहे तीन पदों को लेकर भी बात हो रही है. कैबिनेट के पहले विस्तार में सात मंत्री बनाए गए थे और इसके बाद जो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में प्रतिक्रिया हुई है, उसे देखते हुए अगला विस्तार भी जल्द हो सकता है. कांगड़ा संसदीय क्षेत्र को विधानसभा अध्यक्ष के बाद सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार के रूप में मिला है. पहले चर्चा थी कि मुख्यमंत्री बजट से पहले या अगले लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार करेंगे.