नई दिल्ली. मुख्यमंत्री पद के लिए पिछले 19 साल में पांचवीं बार वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश में आमने सामने हैं. इससे पहले 1998, 2003, 2007 और 2012 में ये दोनों नेता मैदान में थे. राज्य में दोनों पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के पास धूमल और वीरभद्र सिंह के कद का नेता नहीं है. यही वजह रही कि आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप के बावजूद कांग्रेस ने फिर एक बार 83 साल के वीरभद्र सिंह पर भरोसा जताया है. वहीं दो बार मुख्यमंत्री रह चुके धूमल को फिर से भाजपा ने अपना चेहरा बनाया है.
कांग्रेस अगर जीतती है तो वीरभद्र सिंह सातवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे. भाजपा की सत्ता में वापसी हुई तो धूमल तीसरी बार सत्ता पर काबिज होंगे. राज्य की 68 सीटों पर 9 नवंबर को मतदान हआ. इस बार यहां 74.61 फीसदी वोटिंग हुई. इस बार 2003 में 74.51 फीसदी वोटिंग हुई थी. हिमाचल चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने 300 से अधिक रैलियां कीं. कांग्रेस ने 110 तो बीजेपी ने 197 चुनावी जनसभाएं कीं. वहीं इस चुनाव में मोदी ने सात तो राहुल गांधी ने तीन रैलियां कीं हैं.