किन्नौर. नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल (एनजीटी) द्वारा हिमाचल में नदी-नालों से 100 मीटर की दूरी पर लगे स्टोन क्रेशरों को हटाए जाने का आदेश है. लेकिन इसके बावजूद भी किन्नौर जिला में इन आदेशों की धज्जियाँ उड़ रही है. किन्नौर में सरकारी इम्पलिमेंट एजेंसियों की हालत यह है कि न्यायालय के आदेशों को अमल में लाना तो दूर की बात उल्टा अवैध कारोबारियों के प्रति नरम रूख अपनाए हुए है.
मालूम हो कि इन दिनों किन्नौर जिला के रल्ली नामक स्थान पर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के तय मापदंडो को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से स्टोन क्रैशर चल रहा है. यह स्टोन क्रैशर सतलुज नदी से मात्र 15 से 20 मीटर तथा सतलुज नदी पर बने ब्रिज सहित एनएच से करीब 20 – 25 मीटर की दूरी पर स्थापित किया गया है. हिमाचल प्रदेश पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के गाईड लाईन के अनुसार सतलुज नदी से 100 मीटर तथा किसी भी ब्रिजी से 500 मीटर व 200 मीटर की दूरी पर न तो खनन किया जा सकता है और न ही स्टोन क्रैशर लगाया जा सकता है.
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जिस स्थान पर स्टोन क्रेशर स्थापित किया गया है, उस सरकारी भूमि को स्टोन क्रैशर स्थापित करने के लिए स्थानांतरित तक नहीं किया गया है. यहां तक कि इस स्टोन क्रैशर में मेटिरियल कहा से लाया जाएगा यह तक नहीं दर्शाया गया है.
उन्होने कहा कि अवैध रूप से चल रहे इस क्रैशर प्लांट की जानकारी रल्ली ग्राम सभा द्वारा प्रशासन व माईनिंग विभाग को लिखित रूप से अवगत करवाया है. लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है. उन्होने हैरानी जताते हुए बताया कि जहां पर यह स्टोन क्रैशर स्थापित है वहां से चंद किलो मीटर की दूरी पर खनन अधिकारी का कार्यालय होने के साथ-साथ जिला स्तर के तमाम अधिकारी रहते है. बाबजूद इस के रल्ली में एनजीटी के आदेशों की धज्जियाँ उड़ रही हैं.