शिमला. कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में क्रांति या बदलाव के वाहक सबसे पहले वहां का युवा ही बनता है. हिमाचल चुनाव में भी वहां के युवाओं की अच्छी-खासी भागीदारी नजर आ रही है. प्रदेश में गरमाए राजनीतिक माहौल की गर्मी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी देखने का मिल रही है. यहां व्हाट्सएप ग्रुप्स, फेसबुक और ट्विटर के जरिए युवा नेता प्रतिदिन छात्रों से संवाद कर रहे हैं.
साफ नजर आते हैं विचारधारा के दो धुरे
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पहुंचते ही छात्र संगठनों के बैनर-पोस्टर और दीवार पर लिखे स्लोगन दिखने लगते हैं. विवि गेट की दाहिने तरफ लगा एक पोस्टर एदुआर्दे सालियानो के हवाले से ‘देशद्रोही कौन?’ को बता रहा है. जवाब में वीर सावरकर एक फटा पोस्टर भी देशभक्ति का पाठ पढ़ाते दिखता है.
हिप्र. विश्वविद्यालय में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव साल 2013 में हुआ था. लेकिन छात्रों में अब भी राजनीति में दिलचस्पी बनी दिखती है. एबीवीपी, एनएसयूआई और एसएफआई के कार्यकर्ता गले में संगठन का बिल्ला लगाकर घूम रहे हैं. चाय की दुकानों, विवि गेट और पोस्ट ऑफिस की सीढ़ी पर आगामी विधानसभा चुनाव की चर्चा हो रही है.
छात्रों की राजनीति पोस्टर तक ही सीमित नहीं है. छात्र सोशल मीडिया पर भी चुनाव को लेकर काफी सक्रिय हैं. फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को अपने-अपने राजनीतिक दलों से जोड़ा जा रहा है. एनएसयूआई के विवि अध्यक्ष वीनू मेहता कहते हैं कि वे नये छात्रों को संगठन और पार्टी में जोड़ने की शुरुआत सुबह में व्हाट्सएप पर ‘गुड मार्निंग’ भेजने से करते हैं.
छात्र संगठन और राजनीतिक दलों के व्हाट्स एप्प और फेसबुक मैसेंजर पर कई स्तर पर ग्रुप सक्रिय हैं. ग्रुप में सहपाठियों और दोस्तों को जोड़ लिया गया है. कई छात्र एक साथ भाजपा, कांग्रेस और सीपीएम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े हुये हैं. वहीं, एनएसयूआई के विनू कहते हैं कि वे ‘विरोधियों’ को भी फॉलो करते हैं ताकि सोशल मीडिया पर उनका काउंटर किया जा सके.
राजनीति से अप-टू-डेट कर रहा सोशल मीडिया
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बाहर के जिले से भी छात्र पढ़ने आते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से वे घर से दूर रहने के बावजूद अपने स्थानीय नेताओं के बारे में पूरी जानकारी रख रहे हैं. चंबा विधानसभा के निवासी और विवि में कानून के छात्र मोहम्मद अब्बास कहते हैं,” जैसे-जैसे चुनाव आ रहे हैं, हमें नये-नये व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया है, हमारे जानने वालों ने चंबा भाजपा और कांग्रेस दोनों नेताओं के व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ लिया है, जहां वे अपने कार्यक्रम के वीडियो और वादे पोस्ट करते रहते हैं.”
राजनीतिक दलों में युवा कार्यकर्ता सबसे अधिक सोशल मीडिया पर सक्रिय दिखते हैं. इसके उलट एचपीयू एबीवीपी के फेसबुक पेज के एडमिन विशाल संगठन का फेसबुक पेज दिखाते हुये कहते हैं कि वे सिर्फ छात्रों के मुद्दे को शेयर करते हैं. एबीवीपी के ही विवि अध्यक्ष विश्वबंधू शर्मा बताते हैं कि हरेक स्तर पर संगठन के ग्रुप और सोशल मीडिया एकाउंट बनाये गये हैं. जिसको अपडेट करने की जिम्मेवारी मीडिया प्रभारी की रहती है.
प्रदेश की राजनीति को भी विवि के समर्थन की दरकार
एनएसयूआई के वीनू मेहता दर्जन भर व्हाट्सअप और फेसबुक ग्रुप से जुड़े हैं और यहां आने वाले पोस्ट से संगठन की गतिविरधि से अपडेट रहते हैं. वे अपने फोन को दिखाते हैं, जिनमें ‘एनएसयूआई भटियार’, ‘एक दो तीन चार राजा साहब सातवीं बार’, ‘हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सिपाही’ जैसे व्हाट्सएप ग्रुप से उन्हे मैसेज मिल रहे हैं. वे बताते हैं कि ‘हिमाचल कांग्रेस के सिपाही’ के नाम से फेसबुक मैसेंजर ग्रुप बना हुआ है जिसमें सभी कांग्रेस कार्यकर्ता अपना पोस्ट करते हैं. हालांकि यहां ज्यादातर मीडिया कवरेज का पोस्ट ही दिखता है.
ट्विटर पर भी हैशटैग वार
कार्यकर्ता बड़े नेताओं और पार्टी को ट्विटर पर फॉलो करने का फायदा यह बताते हैं कि उन्हें मीडिया में खबर आने से पहले ही अपने नेताओं और पार्टी के कार्यक्रम के बारे में पता चल जाता है। कांग्रेस से खुले तौर पर जुड़े होने के कारण एनएसयूआई के कार्यकर्ता ‘हिमाचल अब डोल रहा है राजा-राजा बोल रहा है’ एक दो तीन…, ‘जुमलों की सरकार को भेजो हरिद्वार को’ जैसे हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं. वहीं, एबीवीपी ‘य़ुवा मतदाता जागरण अभियान’ हैशटैग से आगे नहीं बढ़ पा रही है.
हालांकि कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, छात्र संघ चुनाव जैसे मुद्दे पर शत-प्रतिशत मतदान करने के लिये एबीवीपी प्रदेश भर में ‘रथ-यात्रा’ कर रही है. देखना होगा कि एबीवीपी की यह रथ-यात्रा विधानसभा चुनाव में भाजपा को कितना फायदा पहुंचाती है.