नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी नशे की दलदल में फंसती जा रही है. प्रदेश के कई हिस्सों में चरस, भुक्की, कोकीन और अफीम की बरामदगी दुखद संकेत देती है. बिलासपुर, चंबा, कुल्लू, सोलन, मंडी जैसे इलाकों से लगातार नशा तस्करी की खबरें आती हैं. हालात तो इतने खराब हो गए हैं कि अब हेरोइन और कोकीन जैसे नशीले पदार्थ भी यहां पहुंचने लगे हैं. इसी नशे के इस कारोबार से चंद रुपयों के लालच में युवा पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी भी हो सकती है. अगर राजनेताओं की बात करें तो इस मुद्दे पर राजनीति तो खूब करती है पर धरातल पर कुछ ठोस कदम उठाती नहीं दिखती.
भाजपा ने किया था वादा
नई सरकार के आने के बाद भी मंजर नहीं बदला. लगातार नशे का जाल फैलता जा रहा है. 2017 में हिमाचल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल जैसे नेताओं ने कहा था कि हमारी सरकार बनते के साथ ही नशे के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
मुख्यमंत्री क्या कर रहे हैं
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कई बार अपने भाषणों में दोहराया है कि वह नशे से युवाओं को बचाएंगे लेकिन यह प्रश्न पूछना चाहिए कि उनका रोड मैप क्या है. अभी तक उन्होंने कौन से बड़े ऐसे फैसले लिए हैं जिससे कि नशा व्यापार पर नकेल कसा जा सके.
कुछ हाल की घटनाएं
आइये हाल की कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं कि किस कदर प्रदेश नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है. 1 फरवरी को सोलन में एक शक्श के पास से पुलिस ने 7 किलो चरस बरामद किया है. अभी हाल ही में एक ही दिन में कुल्लू पुलिस ने नशा तस्करी के चार मामलों में 4 आरोपियों को पकड़ा. 2017 के अंत से पहले ही कुल्लू में कोर्ट ने एक व्यक्ति को चरस तस्करी के जूर्म में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई. चुनाव के दौरान भी नशे का खूब खेल चला. पुलिस ने कई चरस माफियाओं की धर पकड़ की है लेकिन सवाल अभी भी कायम है कि नई सरकार कौन सा ऐसा काम कर रही है जिससे आज के युवा नशे की ओर न मुड़े.
राज्यपाल से लेकर स्पीकर को भी है चिंता
ऐसे तो विधानसभा स्पीकर राजीव बिंदल और राज्यपाल आचार्य देव व्रत भी लगातार युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए संदेश देते रहते हैं. लेकिन क्या सिर्फ भाषण से तस्वीर बदल जाएगी? अधिकतर लोगों का मानना है कि नशे की तरफ युवाओं के जाने का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी ही है. इसे खत्म करने के लिए कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे यह प्रदेश सरकार को साफ करना चाहिए.