शिमला. ठंड के मौसम में हिमाचल की वादियां जब बर्फ की चादर ओढ़ लेती हैं तो उनकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. देश के कोने-कोने से लोग इस सफेद सुंदरता को निहारने, महसूस करने यहां खिंचे चले आते हैं. मगर इस सफेदी का एक स्याह पहलू भी है. यहां की जानलेवा ठंड हर साल कई गरीबों की जान ले लेती है जो हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी अपने और परिवार के लिए गर्म कपड़े और दो जून की रोटी नहीं जुटा पाते.
लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो इन गरीबों के लिए दिनरात काम कर रहे हैं. यह हैं ‘द वॉइस’ संस्था के नौजवान जिन्होंने ‘क्लॉथ बैंक’ के नाम से एक अनूठा प्रयोग शुरू किया है.
दे जाइए गैरजरूरी कपड़े, किसी गरीब के काम आ जाएंगे
यह हिमाचल प्रदेश का पहला ऐसा बैंक जिसमें लोग अपने इस्तेमाल न होने वाले कपड़ें जमा करवा सकेंगे और संस्था इन कपड़ों को आगे जरूरतमंदों तक पहुंचाएगी. सोमवार को शिमला रिज मैदान से इसकी शुरुआत हुई. हिमाचल प्रदेश स्टेट कॉपरेटिव बैंक के अध्यक्ष हर्ष महाजन व भाषा एवम शिमला जिला के भाषा अधिकारी त्रिलोक सूर्यवंशी ने कपड़े बैंक में जमा करवाकर योजना की शुरुआत की.
हर्ष महाजन ने कहा कि कोशिश की जाएगी कि बैंक की जिन शाखा में जगह होगी वहां पर क्लॉथ बैंक के लिए कपड़े कलेक्शन सेंटर को स्थान दिया जाए. इससे लोगों को कपड़े जमा करवाने में मदद मिलेगी. द वॉइस संस्था के अध्यक्ष रमनदीप का कहना है कि एनजीओ ने प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयास किया है. लोगों से वस्त्र इकठ्ठे कर जरूरतमंदों में बांटे जाएंगे. प्रदेश के ऐसे जिला व बाहरी राज्यों तक इस योजना को पहुंचाया जाएगा.
35 यूनिट रक्तदान भी किया
क्लॉथ बैंक की शुरुआत के अतिरिक्त “रिज मैदान शिमला” पर जेआरपी प्रोडक्शन व द वॉइस संस्था के संयुक्त तत्वाधान से रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया, इस शिविर में 35 यूनिट रक्त का संग्रह किया गया है और बहुत से लोग कपड़े दान करने के लिए आगे आये हैं जो झुग्गी इलाकों में दान करेंगे.
जेआरपी प्रोडक्शन के अध्यक्ष जगमोहन शर्मा ने कहा कि रक्तदान शिविर से हॉस्पिटल में खल रही रक्त की कमी पूरी होंगी. जबकि जिन कपड़ों को लोग जरूरी न समझ कर किसी कोने में फेंक देते है, वो गरीब व असहाय लोगों की जरूरत को पूरा करेंगे.