बिलासपुर: मनाली-लेह रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे की आधारशिला रखने के बाद एक बार फिर इसके निर्माण की आस जगी है. हालांकि अभी भी इसका निर्माण का कार्य मार्च 2019 के बाद शुरू होना, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण यह सपना अब जल्द ही पूरा होने वाला है.
इसे हिमाचल प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि देश की आजादी के बाद यहां के रेल विस्तार को गुलामी की जंजीरों ने जकड़ लिया. सुरक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मानी जाने वाली बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन न सिर्फ राजनीति का शिकार हुई बल्कि एक प्रकार से इसका निर्माण न करके सुरक्षा के साथ बहुत बड़ा समझौता किया गया. अब एक बार फिर से इस रेल लाइन के निर्माण की आस जगी है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लेह में बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे की आधारशिला रख दी है. फाइनल सर्वे के लिए 157 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. लेकिन सर्वे के बाद इसका निर्माण पूरा होते-होते वर्षों का समय और लगने वाला है. सांसद शांता कुमार की मानें तो निर्माण में समय लगेगा, लेकिन प्रसन्नता इस बात को लेकर है कि सर्वे का अंतिम कार्य शुरू हो गया है. इस रेल लाइन के बनने से सुरक्षा और पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलेगा.
इस रेल लाइन के निर्माण में सबसे उंचा रेल ब्रिज बनेगा और दुनिया का सबसे उंचा रेल ट्रैक भी इसी पर होगा. बिलासपुर-मनाली-लेह ब्रॉड गेज लाइन की लंबाई 498 किमी और समुद्र तल से इसकी उंचाई 3300 मीटर होगी. इस ट्रैक के बन जाने के बाद चीन का संघाई-तिब्बत रेलवे ट्रैक भी पीछे छूट जाएगा. पठानकोट से मंडी तक बन रहा रेलवे ट्रैक भी इसी के साथ जुड़ेगा. जिससे चीन के साथ लगी भारत की सीमा तक सेना को सामान पहुंचाने में खासी मदद मिलेगी. भारत इस लिहाज से काफी पीछे है.
अब इंतजार उस पल का है जब सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस रेल लाइन का धरातल पर निर्माण कार्य शुरू होगा. लाहुल स्पिति जैसा जनजातिय जिला जो वर्ष में 6 महीने बर्फ के कारण दुनिया से कट जाता है. वह भी इस रेल लाइन के बन जाने से 12 महीने यातायात के लिए खुला रहेगा.