जोगिंद्रनगर(मंडी). केंद्र सरकार के वित्तमंत्री अरूण जेटली द्वारा जारी किए गए बजट से एक बार फिर जोगिंद्रनगर की जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है. हाल ही में हुए चुनाव में भी सुरक्षा की दृष्टि से अहम रोल अदा करने वाली पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाईन के विस्तारीकरण और नवीनीकरण तथा इसके ब्राडगेज का मुद्दा हर मंच से सामने आता रहा. इसे पठानकोट-जोगिंद्रनगर-मंडी-मनाली होते हुए लेह तक बनाने की बात कही जाती रही. वहीं आज घोषित हुए बजट में अंग्रेजो के जमाने की इस रेल लाइन का नाम तक नहीं लिया गया. वर्ष 1926 में 110 मैगावाट की शानन विद्युत परियोजना के लिए बनाई गई यह रेल लाइन जस की तस हालत में है. लेह तक रेल निर्माण हो जाने के बाद सेना आसानी और सुरक्षित तरीके से सैन्य सामान ले जा सकती है.
यह रेल लाइन टस से मस नहीं हो पाई
सुरक्षा की दृष्टि से इस रेल लाइन को लेह तक पहुंचाने की बात होती रही. मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने भी जोगिंद्रनगर में पत्रकारों के समक्ष यह कहा था कि डिफैंस ने भी माना है कि यदि पठानकोट-जोगिंद्रनगर-मंडी-लेह लाईन को बनाया जाए, तो यह रेल लाइन सबसे अधिक सुरक्षित और देश की भाग्य रेखा होगी. हर बार चुनाव के दौरान ही इस रेल लाइन के नवीनीकरण,विस्तारीकरण और लेह तक पहुंचाने की घोषणा की जाती है लेकिन,कभी भी इस ओर साकारात्मक कदम नहीं उठाए गए. जिसके चलते यह रेल लाइन टस से मस नहीं हो पाई और एक इंच भी अपने स्थान से आगे नहीं बढ पाई. न ही इसे ब्रॉडगेज करने की किसी ने जहमत नहीं उठाई.
1980 के दशक में मालगाड़ी आती थी
यह रेल लाइन केवल मात्र कागजों में ही सर्वे के लिए सिमट कर रह गई है. पिछले लगभग दो साल में यही घोषणा होती रही कि इस रेल को मंडी तक पहुंचाने के लिए सर्वे हो रहा है लेकिन,धरातल में वह सर्वे कहां है, किसी को कोई पता तक नहीं है. हलांकी वर्ष 1980 के दशक में यहां पर मालगाड़ी आती थी. व्यापारी लोग अपना सामान सस्ते दामों पर सामान लाने और ले जाने का कार्य करते थे. वो भी उस समय बंद कर दी गई और आज दिन तक नहीं चल पाई. क्षेत्र की प्रबुद्ध जनता व्यापार मंडल के प्रधान औंकार शर्मा, रामप्रसाद, अशवनी, धर्मचंद सहित कई लोगों का कहना है कि अब तो केंद्र में भी भाजपा और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है. ऐसे में साकारात्मक सोच के साथ इस रेल लाइन के दिन फिर सकते हैं तथा इस और साकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है.