जयपुर: देश में रेल हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे की स्वदेशी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को दिल्ली-मुम्बई मार्ग पर इंस्टॉल किया जा रहा है. देशभर में 19 जोन के ट्रैक पर कवच सिस्टम इंस्टॉल करने की योजना है.
ट्रैक पर अपग्रेड कवच सिस्टम लगाया जा रहा
वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के कुल 3,000 किमी ट्रैक पर अपग्रेड कवच का काम चल रहा है. सबसे पहले दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर कोटा रेल मंडल के नागदा से मथुरा सेक्शन में करीब 500 किलोमीटर ट्रैक पर अपग्रेड कवच सिस्टम लगाया जा रहा है. इसके बाद मुम्बई व अन्य ट्रैकों पर यह सिस्टम लगाया जाएगा.
इसी तरह से नई दिल्ली-मुंबई मुख्य रेल लाइन और हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के बीच 3,000 किमी मार्ग पर कवच स्वचालित सुरक्षा प्रणाली को 160 किमी प्रति घंटे की गति क्षमता के लिए अपग्रेड किया जा रहा है.
कवच ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमेटिक ऑपरेट कर सकता है
कोटा रेल मंडल के डीआरएम मनीष तिवारी ने बताया कि कवच को रेलवे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने डिजाइन किया है. कवच में तीन एंटी कोलाइजन डिवाइस की तकनीकों का समावेश है. कवच एक ट्रैक पर दो ट्रेनों के आने पर न केवल इसकी पहचान कर लेता है, बल्कि ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमेटिक ऑपरेट कर उसे रोक भी देता है.
कवच को तीन हिस्सों में इंस्टॉल किया जाता है
कवच का इलेक्ट्रॉनिक व रेडियो फ्रीक्वेंसी से जुड़ा उपकरण रेड सिग्नल जंपिंग या अन्य खराबी पर भी ट्रेन को रोक देगा. कवच को तीन हिस्सों में इंस्टॉल किया जाता है. इसमें एक हिस्सा इंजन में, दूसरा हिस्सा स्टेशन के ऑपरेटिंग सिस्टम से और तीसरा हिस्सा मुख्य सिग्नल के पास लगाया जाता है. यह सेटेलाइट के जरिए कनेक्ट होकर काम करता है.
यह दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली मानी जा रही है. इसे लगाने में करीब एक किमी ट्रैक पर 50 लाख रुपए का खर्च आता है. इंजन में लगी स्क्रीन पर लोको पायलट को करीब पांच किमी दूर से ही सिग्नल नजर आएगा. इससे सिग्नल चूकने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी.