उच्चतम न्यायालय ने आधार को अनिवार्य बनाने एवं इससे जुड़ी निजता संबंधी चिंताओं पर फैसले के लिए संवैधानिक पीठ बनाने का अनुरोध मान लिया है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से नियुक्त अधिवक्ता श्याम दीवान ने संवैधानिक पीठ गठित करने की मांग की थी. उन्होनें आधार को चुनौती देने वाले सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का अनुरोध किया था. बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया. अब पांच सदस्यों की पीठ 18-19 जुलाई को इसपर सुनवाई करेगी.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने दोनों पक्षों से पांच सदस्यीय या सात सदस्ययों वाली पीठ बनाने का विकल्प दिया. दोनों पक्षों ने पांच सदस्यीय पीठ बनाने के निर्णय पर सहमत हुए. न्यायाधीश जे चेलमेश्वर की पीठ ने संवैधानिक पीठ गठन करने का अनुरोध याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में सात जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता श्याम दीवान ने आधार को निगरानी करने का जरिया बताया था और सरकार पर देश को ‘यातना शिविर’ में बदलने का आरोप लगाया था. सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आधार को जनता के लिए लाभकारी बताया था.
याचिकाकर्ताओं ने मुख्य रूप से निजता, सरकारी योजनाओं का लाभ पाने लिए अाधार को अनिवार्य बनाने तथा पैन कार्ड से जोड़े जाने को लेकर आपत्ति जतायी है.