शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा से बंद हुई सड़कों को खोलने में सरकार सरकार फेल हो गई है. लोगों का सब्र जवाब दे रहा है. सरकार से मदद की राह देखते देखते लोग अब खुद ही मोर्चा संभाल रहे हैं और मजबूर होकर खुद से पैसे इकट्ठा करके सड़कें खोलने का काम कर रहे हैं.
एक तरफ आम आदमी आपदा से त्रस्त है तो दूसरी तरफ सरकार में ताल-मेल की कमी से. सरकार को सड़कें खोलने का काम युद्ध स्तर पर करना होगा. जिस गति से सरकार काम कर रही है उस हिसाब से सड़कें खोलने में कई महीनें का समय लग जाएगा. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में इस बार की बारिश में सड़कों को काफी नुकसान हुआ है लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसे में सरकार कहां हैं? सरकार का काम है सड़कें सही करना.
लोग खुद संभाल रहे मोर्चा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा एक दो जगह नहीं सैकड़ों जगह यही हाल है. लोग महीना भर इंतजार करने के बाद अब मजबूर होकर खुद ही सड़कें खोलने में लग गए हैं. हर दिन समाचारों में ऐसी दर्जनों खबरें देखने को मिलती हैं कि स्थानीय लोगों ने चंदा इकट्ठा कर मशीनें बुलवाई और सड़क खुलवाई.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब आम आदमी को सड़कें सही करवाने के लिए मशीनें मिल जा रही हैं तो सरकार को यह मशीनें क्यों नहीं मिल रही हैं. ठाकुर ने कहा कि सरकार ने पचास किलोमीटर, सौ किलोमीटर के दायरे में एक मशीन लगाई है. जबकि सड़कें पचासों जगह से खराब हुई हैं. इस गति से काम होता रहा तो सड़कों को सही करने में कई महीनें का समय लग जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करने से काम नहीं होता, लोगों को सुविधाएं भी देनी पड़ती हैं. सरकार के मंत्री सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. एप्पल और सब्जियों वाले बेल्ट में सड़कों को खोलने के काम को प्रमुखता से करना था. जिससे आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की फसलों को बाजार तक पहुंचा सके. किसानों और बागवानों की फसलें बाजार तक पहुंच जाती उन्हें अच्छा दाम मिल जाता तो इस आपदा में उन्हें बहुत राहत मिलती.
उन्होंने कहा कि सरकार सड़कें खोलने के काम में तेजी लाए. प्रदेश में मशीनों की कमी नहीं हैं. जब आम आदमी चंदा इकट्ठा करके मशीन से सड़कें खुलवा ले रहे हैं तो सरकार उन मशीनों का इस्तेमाल सड़कें खोलने में क्यों नहीं कर रही है. जयराम ठाकुर ने कहा कि यह असामान्य परिस्थिति है तो सामान्य तरीके से काम करने से समस्या हल नहीं होगी. इसलिए सरकार में बैठे लोग बड़ी-बड़ी बातें करने की बजाय आपदा राहत के काम में तेजी लाए.