रांची. झारखंड सरकार को अवैध खनन करने वाले ठेकेदारो पर लगाये गये रॉयल्टी से 777.69 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. यह वसूली पिछले पांच सालों 2011 से 2016 के बीच की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2011 की तुलना में 2016 में यह रॉयल्टी की रकम ढ़ाई गुणा बढ़ गयी है. इनमें चिप्स, बोल्डर और बालू का खनन शामिल है. महालेखाकार के मुताबिक यह बढ़ोत्तरी झारखंड लघु खनिज समानुदान नियमावली (जेएमएमसी रूल) की वजह से है.
महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदारों ने निर्माण कार्यों मे लगे लघु खनिजों का स्रोत बताने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए वर्क्स डिपार्टमेंट में दो गुनी राॅयल्टी जमा करायी है.
रिपोर्ट बताता है कि 2011-12 में ठेकेदारों ने राॅयल्टी के रूप में 92.46 करोड़ रुपये जमा किये. 2012-13 में 112.28 करोड़, 2013-14 में 142.16 करोड़, 2014-15 में 175.51 करोड़ और 2015-16 में 255.25 करोड़ रुपये जमा किये.
नियमों के मुताबिक, बिना वैध लीज या अनुमति लिये खनन को अवैध माना जाता है. अवैध खनन करने पर खनिजों के मूल्य के साथ ही राॅयल्टी और टैक्स आदि की वसूली किया जाता है. प्रावधान है कि ठेकेदार को फार्म ओ और फार्म पी जमा कराना होता था. अगर इनमें दिया गया ब्यौरा सही नहीं हो तो खनन को अवैध माना जाता है. इसमें यह भी प्रावधान है कि दोगुना रॉयल्टी देकर खनन करने वाले ठेकेदार विभाग की कर्रवाई से बच सकते हैं.
महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठेकेदार इस विरोधाभासी प्रावधान के सहारे फार्म ‘ओ’ और फार्म ‘पी’ देने के बदले दो गुना रॉयल्टी जमा कर देते हैं और बदले में नियमोंं को ताक पर रखकर खनन करते हैं.