जयपुर: राजस्थान में 1 करोड़ चिरंजीवी कार्ड धारक मुखिया महिलाओं को इंदिरा गांधी स्मार्टफोन गारंटी कार्ड देने की योजना पर जोधपुर हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार को नोटिस जारी करते हुए 5 अक्टूबर तक जवाब मांगा है.
कोर्ट ने योजना की मंशा पर सवाल उठाए गए हैं. इस याचिका के अनुसार विधानसभा चुनावों में राजनीतिक फायदा लेने के लिए सरकार ऐसे गारंटी कार्ड बांटकर आर्थिक बोझ डालना चाहती है, जबकि ऐसी योजनाएं कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में भी नहीं आती है.
‘संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन’
अधिवक्ताओं ने कोर्ट में तर्क देते हुए कहा, ‘राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना के उद्देश्यों और कार्यान्वयन से स्पष्ट पता चलता है कि यह तर्कसंगतता की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है. ये साफ तौर पर भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है.
1 करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन देने का प्रस्ताव राज्य की अर्थव्यवस्था और राज्य सरकार के बजट पर भारी वित्तीय प्रभाव डाल सकता है. सरकार ने इसे न तो राज्य बजट और विनियोग अधिनियम में अनुमोदित किया है और न ही पहले कोई वित्तीय मंजूरी ली गई है. ऐसे में विभाग का यह आदेश न केवल उसके अधिकार क्षेत्र के परे है, बल्कि ये बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के भी प्रतिकूल है.’
कैंप लगाकर बांटे जा रहे स्मार्टफोन
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बड़ा ऐलान करते हुए एक करोड़ चिरंजीवी कार्ड धारक परिवार की महिला मुखिया को इंटरनेट कनेक्टिविटी वाला स्मार्टफोन देने की बात कही थी, जिसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट की मुख्य पीठ में आयोजना विभाग के 21 अगस्त 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी.
फिलहाल सुनवाई के बीच सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट इंदिरा गांधी स्मार्ट फोन योजना के तहत कैंप लगाकर प्रदेश की महिलाओं को निःशुल्क मोबाइल वितरण का काम शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में मंगलवार को भी बेगूं पंचायत समिति में कैंप का आयोजन करके महिलाओं को स्मार्टफोन बांटे गए हैं.