मंडी(जोगिंद्रनगर). प्राकृतिक सौंदर्य को संजोए जोगिंद्रनगर में पर्यटन की अपार संभावनाएं है. एशिया की सबसे ऊंची रोपवे ट्राली भी इसी स्थान पर स्थित है. यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं तो बनाई गई. लेकिन धरातल में कुछ भी नहीं हो पाया.
एक तरफ जहां जोगिंद्रनगर क्षेत्र धार्मिक आस्थाओं को अपने में समेटे हुए हैं. क्षेत्र के बालकरूपी में बाबा बालकनाथ का मंदिर और बाबा भूतनाथ का मंदिर, सत्यानारायण भगवान का मंदिर और कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों का प्रतीक है.
विकास के नाम पर वर्षाें से यहां कुछ नहीं हुआ है. अंग्रेजों के जमाने में बरोट तक सामान ले जाने और लाने के लिए शानन विद्युत परियोजना बनाई गई थी, जिसे लेकर वर्ष 2005 में पंजाब के तत्काल मुख्यमंत्री रमणीक बरोट पहुंच कर जनता को आश्वस्त किया था कि इस रोप वे को पर्यटन के लिए खोला जाएगा. जिससे यहां पर पर्यटन के साथ-साथ क्षेत्र की जनता को रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो सकेंगे. लेकिन, उनके वापस जाते ही वे जनता को किए आश्वासन को भूल गए.
जोगिंद्रनगर में वर्ष 1926 में रेलगाड़ी पहुंच गई थी. जो पठानकोट से जोगिंद्रनगर तक आती है. इसके ब्राॅडगेज और विस्तारीकरण की मांग समय-समय पर उठती रही लेकिन, न ही इसका विस्तार हो पाया और न ही इसे ब्राॅडगेज किया गया.
आज भी यह अंग्रेजो के जमाने में बिछाई गई नैरोगेज पटरी पर ही दौड़ रही है. यह रेल लाईन भी सर्वे की फाइलों में ही दब कर रह गई है. अंतरराष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग स्थान बीड़ भी इस क्षेत्र के साथ ही है. लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से आगे नहीं आ सका.