शिमला. नंबर वन की दौड़ में बीते साढ़े चार साल से चल रहा राजनीतिक मलयुद्ध आखिर बराबरी पर छूट गया। न माली एक को मिली न दूसरे को। कांगड़ा की माली में ‘न तुम जीते न हम हारे’ वाली स्थिति हो गयी। राजनीति के दंगल में दोनों दिग्गज विजेता की तरह खुश होकर गलबहियां कर रहे हैं। आप समझ ही गये होंगे आखिर राजनीति के अखाड़े में किन धुरंधरों का मलयुद्ध चल रहा था। जी हां, कांगड़ा के राजनीतिक अखाड़े में साढ़े चार साल से जीएस बाली और सुधीर शर्मा के बीच मल्लयुद्ध चल रहा था।
यह बात किसी से भी नहीं छुपी है कि इन दोनों दिग्गजो के बीच कांगड़ा में नंबर वन बनने के लिए लगातार प्रतिद्वन्द्विता चल रही थी। दोनों एक दूसरे के किसी कार्यक्रम में नही जाते थे। एक ही जगह मौजूद रहने के बावजूद बराबर दूरियां बनाये रखते थे। हर क्षण यही कोशिश रहती थी कि कब और कैसे विरोधी को पछाड़ा जाए।
कांगड़ा में बिछी चुनावी बिसात
सुधीर ने धर्मशाला को दूसरी राजधानी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट समेत कई और योजनाओं की भेंट दी तो बाली ने नगरोटा बागवां की जनता के लिए कई और प्रोजेक्ट दिए। केबिनेट में भी कई बार दोनों में चालें होती रहीं। दोनों लगातार मौके की फिराक में ही दिखाई देते थे। लेकिन बीते दिन दोनों की जुगलबन्दी ने सारा खेल ही खत्म कर दिया। दोनों एक ही मंच पर बैठ साथ-साथ मुस्कुराते नजर आए। दोनों ने साथ में भोजन किया, ऐसा लगता है मतभेद खत्म कर नई राजनीतिक पारी के लिए कमर कस ली है। राजनीतिक विशेलेषकों का कहना है कि दोनों अब समझ चुके हैं कि यदि भविष्य को सुरक्षित रखना है तो मल्लयुद्ध बंद कर एकजुट होना होगा।
एक माह बाद चुनाव हैं और दोनों दिग्गज कांगड़ा से ही हैं। यही नही दोनों का ही नगरोटा बगवां और धर्मशाला में अच्छा रसूख है। अगर एक दूसरे के खिलाफ पीठ कर खड़े रहे तो न एक का लाभ होगा न दूसरे का। तो दोनों ने भी आपसी द्वेष को थोड़े समय के लिए भुला दिया है। एक बार चुनाव में जीत जाएं तो अगले पांच साल में कोई और चाल चलकर शह और मात के इस खेल में विरोधी को चित किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पहले सत्ता पर काबिज होना होगा।
राजनीतिक चर्चा
बाली और सुधीर की इस जुगलबंदी की राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा है। सबकी नजरें इन पर टिकी हैं। क्योंकि सुधीर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के हनुमान की तरह 5 साल खड़े रहे लेकिन बाली हमेशा से ही वीरभद्र सिंह के धुर विरोधी रहे हैं।
हाल ही में बाली, कौल और विद्या दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मिले। आलाकमान से क्या संकेत मिले अभी इसका पूरा खुलासा नहीं हो पाया लेकिन अब सुधीर और बाली की दोस्ती के चर्चे तो होंगे ही. आखिर इस दोस्ती का क्या परिणाम होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन ……..आखिर में एक गीत के बोल जरूर याद आते हैं-
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय न तुम जीते-न हम हारे….. तो हुई न बराबर की माली…!