नई दिल्ली. सन 1945 में आरएसएस के प्रचारक के तौर पर जुड़ने वाले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल किसी पहचान के मोहताज नहीं है. गुजरात की राजनीति में कई दशकों तक अपना डंका बजाने वाले नेता ने सबसे पहले राजनीति की शुरुआत 1960 में जनसंघ से जुड़ कर की. उसके बाद वह लगातार राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते रहे. व्यक्ति विशेष में पढ़िये केशुभाई पटेल की जिंदगी की पूरी कहानी.
राजनीति की शुरुआत
केशुभाई पटेल का जन्म 24 जुलाई 1928 को जुनागढ़ के विसावदर में हुआ. जवानी में पैर रखते ही आरएसएस के प्रचारक बन राजनीति का ककहरा सीखने लगे. उसके बाद पटेल जनसंघ से जुड़े और गुजरात की राजनीति में अपनी पहचान तलाशने लगे. आपातकाल के दौरान केशुभाई जेल जाने से भी पीछे नहीं हटे.
जनसंघ और भाजपा के नेता के तौर पर
1977 में आपातकाल के बाद राजकोट से लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गए. 1978 से 1995 के बीच उन्होंने कलवाद, गोंडल और विसावदार से विधानसभा चुनाव जीता. 1980 में जनसंघ के खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी में बतौर वरिष्ठ नेता के तौर पर शामिल हुए. उसके बाद कांग्रेस के खिलाफ जोरदार चुनावी अभियान चलाया जिसका परिणाम था कि 1995 में कांग्रेस, गुजरात में सरकार बनाने में नाकामयाब रही.
पहली बार बने मुख्यमंत्री
केशुभाई पटेल ने 14 मार्च 1995 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे. केवल 7 महीनों के बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि भाजपा के ही शंकरसिंह वाघेला ने विद्रोह कर दिया था. भाजपा दो भागों में बंट गई थी. एक धड़ा ‘राष्ट्रीय जनता पार्टी’ बन गया जिसके नेता वघेला 1996 में मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे. राजनीति का गणित फिर करवट लेता है और केशुभाई पटेल फिर से 1998 में मुख्यमंत्री बन जाते हैं.
क्या हैं आरोप
पटेल ने 2 अक्टूबर 2001 को स्वास्थ्य का हवाला देकर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. उनके ऊपर अपने पद का दुरुपयोग करने, भ्रष्टाचार और खराब प्रशासनिक व्यवस्था के आरोप लगे. इसके साथ ही उनके ऊपर भुज में आए भूकंप में कुप्रबंधन करने के आरोप भी लगे हैं. उन्होंने भाजपा की सीट से 2001 में उपचुनाव हारने के बाद उन्होंने 2002 में विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया. उसके बाद उन्हें 2002 में राज्यसभा भेज दिया गया. इसके बाद 2007 में मोदी युग का आरंभ हो जाता है और पूरी बहूमत के साथ भाजपा विधानसभा जीतती है और मोदी मुख्यमंत्री बनते हैं.
गुजरात परिवर्तन पार्टी का उदय
भाजपा से अपनी पहचान बनाने के बाद 4 अगस्त 2012 को उन्होंने ‘गुजरात परिवर्तन पार्टी’ बनाई. जिसके बाद उनकी पार्टी को 2012 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटें मिलती है जिनमें एक सीट उनकी खुद की है. जिसके परिणाम स्वरूप 2014 को वह पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देते हैं. केशुभाई पटेल की बात करें तो उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है. उनके पांच बच्चे हैं. केशुभाई के बेटे भारत पटेल भाजपा से जुड़े हुए हैं.