नई दिल्ली. जाने माने पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह का आज जन्मदिन है. अपनी बिंदास जिंदगी और बेबाक लेखनी से लोगों के दिलों में राज करने वाले खुशवंत सिंह का चार साल पहले 20 मार्च, 2014 गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया था. खुशवंत सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उन्होंने सुखी जिंदगी जीने के जो सूत्र बता गए हैं उसका पालन करके कोई भी सुखमय जिंदगी जी सकता है. अपने इसी फार्मूले की बदौलत वह जिंदगी के 99 बसंत देखकर इस दुनिया से विदा हुए.
खुशवंत सिंह जन्म पंजाब (अब पाकिस्तान) में वर्ष 1915 में हुआ था. खुशवंत सिंह भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे. एक पत्रकार, स्तंभकार और एक बेबाक लेखक के रुप में उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुस्कारों से सम्मानित भी किया गया. उन्हें पद्मश्री, पद्म विभूषण जैसे सम्मान भी मिले.
खुशवंत सिंह ‘योजना’, नेशनल हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और ‘दि इलेस्ट्रेटेड विकली ऑफ़ इंडिया’ के संपादक रहे थे. इनके अनेक उपन्यासों में सबसे अधिक प्रसिद्ध ‘डेल्ही’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘दि कंपनी ऑफ़ वूमन’ हैं. दो खंडों में प्रकाशित ‘सिक्खों का इतिहास’ उनकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है. लगभग 70 वर्ष साहित्य के क्षेत्र में खुशवंत सिंह का विविध आयामी योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण था. साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवंत सिंह जी ने भारत के विदेश मंत्रालय में विदेश सेवा के महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. साल 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे.
खुशवंत सिंह के लिखे सूत्र-
1.अच्छा स्वास्थ्य – अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं.
2. ठीकठाक बैंक बैलेंस – अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है.
3. अपना मकान – मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है.
4. समझदार जीवन साथी – जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना.
5. दूसरों की उपलब्धियों से न जलना- कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं.
6. गप से बचना- लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा.