कुल्लू. बर्फीला रेगिस्तान यानि कि लाहौल-स्पीति में इन दिनों लोग सर्दियों की तैयारियों में जुट गए हैं. जिला लाहौल स्पीति छह महीने तक बर्फ की कैद में रहता है. जिस कारण लाहौल देश-दुनिया से छह महीने तक पूरी तरह से कट जाता है. इन्हीं 6 महीनों से निपटने के लिए लाहौल वासी और सरकारी विभागों ने अभी से तैयारियां करनी शुरु कर दी हैं. यह और बात है कि अभी तक वहां कोई बर्फबारी नहीं हुई है.
कुछ चले आते हैं कुल्लू-मनाली
कुछ लाहौल निवासी सर्दियों से बचने के लिए निचले इलाके कुल्लू व मनाली आ जाते हैं. उनका कहना है कि केलंग में छह महीने तक टिक पाना बहुत ही कठिन होता है. केलंग निवासियों ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है इसलिए वह निचले इलाकों का रुख करते हैं.
दिसंबर से अप्रैल तक हेलिकॉप्टर सेवा
अपनी ऊंचाई के कारण लाहौल-स्पीति में सर्दियों में बहुत ज्यादा ठंड होती है. वहीं गर्मियों में मौसम बहुत सुहाना हो जाता है. ठंड में बिजली व यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है. जिस कारण यहां पर्यटन भी प्रभावित हो जाता है. हालांकि स्पीति पूरे साल शिमला से काजा (पुराने भारत-तिब्ब्त) के रास्ते से जुड़ा रहता है. उधर लाहौल जून तक पूरी तरह कट जाता है. वहीं दिसंबर से अप्रैल के बीच साप्ताहिक हेलिकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध रहती हैं.
आइये जानें लाहौल-स्पीति को
लाहौल-स्पीति जिला हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से एक जिला है. लाहुल-स्पीति का मुख्यालय केलंग है. जिले में दो उपमंडल हैं, तीन तहसील, चार विकासखंड और एक लोकसभा क्षेत्र है. एक विधान सभा क्षेत्र है, 1519 गांव और 270 ग्राम पंचायतें हैं.
अटल ने समझा था लाहौल वासियों का दर्द
सर्दियों में छह माह तक बर्फ की कैद में रहने वाले लाहौल के लोगों का वनवास अब खत्म होने वाला है. 1 साल बाद यह दुर्गम इलाका दुनिया से जुड़ जाएगा. इसका श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देना चाहिए जिन्होंने हिमाचल में रोहतांग टनल का ऐलान कर प्रदेश की झोली खुशियों से भर दी थी. अब जल्दी ही रोहतांग टनल का काम मुकम्मल होने वाला है और अगले साल यह टनल खुल सकती है.