सोलन(कसौली). ‘लिटफेस्ट’ एक बार फिर खुशवंत सिंह की याद के साथ समाप्त हो गया है. तीन दिन चले इस लिटगेस्ट में देश के जाने-माने लेखक,साहित्यकारों ने अपनी किताब तथा विचारों को लोगों के साथ सांझा किया. इसी दौरान मिहिर बोस ने अपनी किताब ‘ट्रू स्टोरी ऑफ रिमार्केबल इंडियन स्पाई ऑफ सेकेंड वर्ल्ड वार’ की चर्चा की.
उन्होने कहा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पेशावर से काबुल ले जाने वाले जासूस से प्रभावित नहीं थे सुभाष चन्द्र बोस. मुस्लिम क्षेत्र से निकलने के लिए सुभाष चन्द्र बोस को मुस्लिम नाम मोहमद जियाउद्दीन रखना पड़ा था.
उन्होने कहा कि जासूस भगत राम तलवार जो हिन्दू पठान था. उसे कीर्ति पार्टी की तरफ से नेता जी को पेशावर से काबुल पहुंचाने की जिम्मेवारी थी. 1940 में ब्रिटिश पुलिस द्वारा भगत राम के भाई को मारने के बाद भगत राम कीर्ति पार्टी में शामिल हुए.
कीर्ति पार्टी को गदर पैसों की मदद करते थे. गदर वह सिख थे जो कनाडा, यूएस और नॉर्थ अफ्रीका में रहते थे. भारत को आज़ाद देखना चाहते थे. उस समय विश्व कि सभी कम्युनिस्ट पार्टी पर सोवियत संघ का नियंत्रण होता था. लेकिन कीर्ति पार्टी ब्रिटिश कम्युनिस्ट का कंट्रोल था.
कीर्ति पार्टी की कोलकाता में अच्छे संबंध होने से उन्होने नेता जी को पेशावर लाने का जिम्मा शिशिर बोस को दिया. पेशावर पहुंचने के बाद जासूस भगत राम की जिम्मेवारी नेता जी को काबुल तक ले जाने की थी. इसके लिए भगत राम ने अपना नाम रेहमद खान रखा था. इस चर्चा में उनके साथ सुमंत्र बोस,मार्क टुली तथा आनंद सेठी शामिल रहे.
इसके बाद अश्विन सांघी ने अपनी किताब पर चर्चा की. अपनी किताब ‘बैटल ग्राउंड’ पर बोलते हुए जनर्ल संधू ने कहा कि आज तक भारत पाक के बीच हुए युद्ध में सबसे ब्लडिएस्ट युद्ध था 1971 छंब का.
लिट फेस्ट के समापन में खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि कसौली लिटफेस्ट खुशवंत सिंह को लोगो के बीच हमेशा जिंदा रखेगा.