शिमला ग्रामीण (शिमला). शिमलावासियों को राहत देने के लिए नगर निगम शिमला ने वीरवार को हुई मासिक बैठक में कई अहम फैसले लिए है. मेयर कुसुम सदरेट की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में शहर से जुड़े विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा की गई. बैठक की शुरुआत हंगामे से हुई.
बसंत विहार काॅलोनी में रह रहे लोगों को 10 साल से बिना बिल के पानी देने पर पार्षद राकेश चैहान ने सवाल दागे. इसका अफसरों के पास कोई जवाब नहीं था. पार्षद ने कहा कि यह एक घपला है. दस साल में करीब 40 लाख बिल बनता है. लेकिन न जाने क्यों नगर निगम बिल तक जारी नहीं कर रहा है. बाकी पार्षदों भी प्रशासन पर सवाल उठाए. जिसके बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. यहां 104 परिवार ऐसे बताए जा रहे हैं जो बिल नहीं देते.
ये फैसले राहत देंगे
नगर निगम ने पानी के बिल मीटर रीडिंग पर देने के काम को आउटसोर्स कर दिया है. जल्द ही मीटर रीडिंग से शहरवासियों को बिल मिलेंगें. मेयर डिप्टी मेयर का सत्कार भत्ता भी पांच गुणा तक बढ़ा दिया गया है. गुम्मा परियोजना में 36 कर्मचारी तैनात करने, पेयजल परियोजनाओं में मरम्मत कार्य पूरा करने, पार्किंग का काम सबसे पहले पूरा करने का भी फैसला लिया गया.
सरकार से वापस लेंगे जंगल
नगर निगम ने सरकार से शहर के जंगलों पर कब्जा पाने के लिए प्रस्ताव पारित कर भेज दिया है. ठेकेदारों को अब ज्यादा काम नहीं दिए जाएंगे. काम में तेजी लाने को लेकर ऐसा फैसला लिया गया है.