बिलासपुर. बिलासपुर के विस्थापितों की परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं. विस्थापितों से पहले उनकी पुश्तैनी जमीनें फोरलेन के लिए जबरन अधिग्रहण करके कौड़ियों के भाव ले लिया है. जबकि उनके पुनर्वास का मुद्दा अनसुलझा ही रह गया.
किसानों के सामने अंतहीन परेशानियां
विस्थापन समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अधिकांश विस्थापित पहले ही भाखडा़ डैम से उजाड़े गये है। अभी तक वे ठीक ढंग से बस भी नहीं पाए थे कि उन्हे दोबारा उजाड़ दिया गया। पुनर्वास के प्रोजेक्ट के लिये भी बाहरी लोगों, राज नेताओं के चहेतों या फिर ऊंची पहुंच रखने वालो को ही रोजगार और काम मिला. जबकि आम विस्थापित किसानों का शोषण किया गया।
इस दौरान किसानों की पुश्तैनी जमीनें नष्ट कर दी गई है। उनके पानी के स्त्रोत, सड़कें, रास्ते वगैरह नष्ट कर दिये गये हैं। प्रोजेक्ट निर्माण कंपनी द्वारा समझौते की शर्तों के अनुसार स्थानीय लोगों के रहने और गुजारे के लिये किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की गयी. जबकि संबधित विभागों और जिला प्रशासन ने आंखें बंद रखीं। उनकी मांगों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रोजेक्ट में काम करने वाले किसानों को उनके मेहनताने की लंबित राशि तक नहीं दी गयी। जिस कारण वाहन मालिकों को बैंको का ऋण तक चुकाना कठिन हो गया है। पिछले एक साल से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा है।
विस्थापन समिति की मांग
विस्थापन समिति की मांग है कि सरकार या तो निर्माता करंनी को समयावधि मे कार्य संपन्न करने के आदेश दे या फिर इस कंपनी का समझौता रद करके किसी दूसरी कंपनी को प्रोजेक्ट का आवंटन करे। ताकि यहां काम करने वाले किसानों को उनकी मेहनत का उचित मुआवजा मिल सके और उनका जीवन-यापन की व्यवस्था भी बनी रहे.